एक बाघ की मौत और फिर उसके शव को जलाकर सबूत मिटाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब एक व्हाट्सएप ग्रुप सोनेवानी अभयारण्य में बाघ की मौत से जुड़ी फोटो और लोकेशन साझा की गई। घटना के वायरल होते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया लेकिन तब तक बाघ का शव नष्ट किया जा चुका था।
जानकारी के अनुसार 2 अगस्त को एक व्हाट्सएप ग्रुप में कालागोटा नाले के पास मरे हुए बाघ की तस्वीर और लोकेशन डाली गई। इसके बाद वन अमले और वन्यजीव प्रेमियों ने तलाशी अभियान चलाया लेकिन जंगल में बाघ का शव नहीं मिला। लोकेशन ट्रेस होने पर छह चौकीदारों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। जिसके बाद चौकीदारों ने स्वीकार किया कि डिप्टी रेंजर टी.आर. हनोते और वनरक्षक हिमांशु घोरमारे के निर्देश पर बाघ के शव को जला दिया गया था।
चौकीदारों ने बताया कि 27 जुलाई को बाघ का शव पोटुटोला नाले में मिला था, जिसके बाद उसे कक्ष 443 से 440 और फिर 444 में शव को ले जाया गया। फिर 29 जुलाई को सूखी लकड़ी एकत्र कर कक्ष 444 में बाघ को जला दिया गया। पूरी तरह जल जाने के बाद राख को चारों ओर फैला दिया गया ताकि कोई सबूत न बचे।
सच्चाई सामने आने के बाद डिप्टी रेंजर टी.आर. हनोते और वनरक्षक हिमांशु घोरमारे को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही छह चौकीदार हरिलाल, शिवकुमार सिंह, शैलेश सिंह, अनुज, मान सलामे और देव सिंह कुमरे को आरोपी बनाया गया है। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि निचले स्तर के कर्मचारियों पर आरोप थोपकर जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता।
वन विभाग के एसडीओ बी.आर. सिरसाम ने कहा कि इस मामले में मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन हुआ है। संबंधित अफसरों को सस्पेंड किया गया है और उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दी गई है। मामले की जांच जारी है।
