उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई है। पिपरी थाना क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल ने परिवार द्वारा इलाज की पूरी रकम नहीं दे पाने पर तीन साल की मासूम बच्ची को बिना टांका लगाए फटे पेट ही बाहर कर दिया। इसके बाद बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई और उसने दम तोड़ दिया।
प्रयागराज के करेहदा के मुकेश मिश्रा ने अपनी 3 साल की मासूम बेटी खुशी को 20 दिन पहले रावतपुर व घोसी गांव के बीच स्थित एक निरी अस्पताल में भर्ती कराया था। परिजनों का आरोप है कि 13वें दिन बच्ची को जबरन बाहर निकाल दिया गया। परिजन उसको लेकर कई और अस्पताल में गए, लेकिन उसको भर्ती नहीं किया गया। इस दौरान बच्ची की हालत और बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसकी मौत हो गई।
बच्ची की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। जानकारी होने पर गांव के भी तमाम लोग इकट्ठा हो गए और चक्काजाम कर दिया। जानकारी होने पर सीओ श्यामकांत कई थानों की फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। परिजनों को किसी तरह समझा-बुझाकर शांत कराया। मुकेश मिश्र ने मामले में डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही से इंलाज करने की तहरीर दी है। साथ ही बताया कि बेटी का तीन जगह से ऑपरेशन किया गया था। उसके पेट में कई जगह टांका भी लगा हुआ है। पुलिस ने तहरीर लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
सीओ श्यामकांत ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, डीएम ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए अपर जिलाधिकारी नगर व सीएमओ को जांच करने को कहा है। डीएम ने निर्देश दिया है कि आरोप सही मिलते हैं तो तत्काल कड़ी कार्रवाई करें।
हंगामे के बाद से डॉक्टरों की उड़े होश
रावतपुर के समीप स्थित प्राइवेट अस्पताल प्रयागराज शहर के उद्योगपति का है। यहां हंगामा होने लगा तो प्रयागराज तक हड़कंप मच गया। पुलिस इसको लेकर पूरी तरह से सतर्क हो गई थी। यही कारण है कि अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कई थानों की फोर्स के अलावा पुलिस लाइन से अतिरिक्त पुलिस बल भेजा था। भारी पुलिस बल पहुंचने के बाद अधिकारियों ने किसी तरह लोगों को शांत कराया।
बेटी के इलाज के लिए बेचा था खेत
बेटी के इलाज के लिए मुकेश मिश्रा ने अपना खेत बेच दिया था। इलाज में उसने करीब ढाई लाख रुपये फूंके थे। 13 दिन तक अस्पताल में भर्ती करने के बाद हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अस्पताल का स्टाफ लगातार रुपये जमा करने के बात कह रहा था। इसके बाद भी उसको अस्पताल से जबरन बाहर निकाल दिया गया था। इससे परिजन परेशान थे। खुशी की मौत के बाद परिजन आगबबूला हो गए और विरोध करते हुए चक्काजाम कर दिया।