मरघट्टी पंचायत के ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथियों द्वारा घर और फसल को पहुंचाए नुकसान का मुआवजा लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि भगवान गणेश लंबे समय बाद उनके जिले में दर्शन देने आए थे, इसलिए वे फसल नुकसान पर एक रुपए भी मुआवजा के रूप में नहीं लेंगे। उन्होंने गांव में हाथी द्वारा किए गए नुकसान का आंकलन करने पहुंची वन कर्मियों की टीम को गांव से वापस लौटा दिया। महासमुंद, सारंगढ़ होते हुए हथिनी और नन्हा शावक 26 फरवरी की सुबह मालखरौदा के मरघट्टी पहुंचे थे। आते ही हथिनी और शावक ने गांव राधिका खुंटे की बाड़ी में पैरावट व सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद गांव के टीकाराम समेत दर्जन भर किसानों के खेतों में लगे धान की फसल को रौंदा। दोनों हाथी ने मरघट्टी, देवगांव, बरपाली समेत आसपास के गांव में दो दिनों तक विचरण का किसानों की खेत और बाड़ी में लगी फसल को नुकसान पहुंचाया। मिट्टी की दीवार तोड़ी, इसके बाद वापस सारंगढ़ की तरफ लौट गए। गांव में किसी भी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई।
हाथियों का झुंड जांजगीर तक पहुंचने की खबर पाकर वाइल्ड लाइन के पीसीसीएफ भी जांजगीर पहुंचे। इस दौरान जांजगीर व रायगढ़ वन मंडल की पूरी टीम भी सुबह से हाथी और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए तैनात थे। ग्रामीणों ने विभाग को लिखे पत्र में विभाग द्वारा की निगरानी और सुरक्षा के लिए मौके पर मौजूद वन कर्मियों का भी आभार जताया है।
छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित इलाकों में छत्तीसगढ़ सरकार हर साल करीब 17 से 19 हजार फसल प्रकरण पर 9 से 10 करोड़ रुपए तक फसल नुकसानी पर प्रभावितों को बांटती है। बीते दो सालों की बात करे तो छत्तीसगढ़ में साल 2018-19 में 17 हजार 708 फसल नुकसानी के प्रकरण में 9 करोड़ 8 लाख रुपए व 2019-20 में 18 हजार 788 प्रकरण में करीब 8 करोड़ रुपए का भुगतान किया। जांजगीर जिले में हाथियों का उत्पात नहीं होने के कारण ऐसे प्रकरण पर व्यय नहीं के बराबर है।
गांव में नुकसान को अंजाम देने के बाद हथिनी और शावक महासमुंद के जंगल चले थे। हाल ही में शावक को फिर गोमर्डा अभयारण्य में देखा गया, पर हथिनी उसके साथ नजर नहीं आई।
विभाग के उड़नदस्ता प्रभारी अशोक मिश्रा ने बताया कि हाथी के लौटने के बाद क्षेत्र प्रभारी गांव में नुकसान का आंकलन करने पहुंचे थे, ताकि ग्रामीणों को नुकसान पर शासन के तय मापदंडों के अनुरूप क्षतिपूर्ति राशि दी जा सके, लेकिन लोगों ने उन्हें नुकसान का आंकलन ही नहीं करने दिया। सभी ने हाथी को भगवान गणेश का रूप बताते हुए एक रुपए भी मुआवजा लेने से मना कर दिया।
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