जयपुर. देश में भले ही ट्रांसजेंडर्स को चुनाव लड़ने से लेकर नौकरी करने तक के अधिकार दे दिए है, लेकिन अभी भी उन्हें विवाह करने से लेकर अन्य कई अधिकार नहीं दिए गए है. जिसके चलते ट्रांसजेंडर अपने साथी के साथ रहते हुए भी अपने रिश्ते को नाम नहीं दे पा रहे है. इसी तरह जयपुर की 25 वर्षीय ट्रांसजेंडर मालिनी दास पिछले पांच साल से अपने साथी के साथ रह रही है, लेकिन आज तक वह अपने इस रिश्ते को नाम नहीं दे पाई है.
सिर्फ यहीं नहीं राजस्थान और पूरे देश में ऐसे कई ट्रांसजेंडर है जो अपने साथी के साथ वैवाहिक बंधन में बंधना तो चाहते है, लेकिन उनके पास अभी इसका कोई अधिकार नहीं है. वही मालिनी का भी कहना है कि जब तक वैवाहिक अधिकार नहीं मिल जाता तब तक हमारे लिए कोई सुरक्षा नहीं होगी. भारत में ट्रान्सजेंडरों को कानूनी रूप से तीसरे जेंडर का दर्जा तो दे दिया गया है, लेकिन उन्हें शादी करने का कोई प्रावधान भारतीय कानून में नहीं दिया गया है. जिसके कारण कई ट्रांसजेंडर्स को अपने रिश्ते को सार्वजनिक करना मुश्किल हो जाता है.
श के ट्रांसजेंडर्स शादी के अधिकार को लेकर कई सालों से अपनी मांग करते आए है, उसके बावजूद भी अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं लाया गया है. वही इसपर नई भोर संगठन की प्रमुख पुष्प माई का कहना है कि हम अपने भविष्य के लिए कानूनी समर्थन चाहते है. जो हमारे भविष्य को सुरक्षित करने में मदद कर सके. वही आपको बता दे कि पर्सनल मैरिज एक्ट्स और स्पेशल मैरिज एक्ट में ट्रांसजेंडर्स का इस संबंध के बारे कोई जिक्र नहीं किया गया है. जिसको लेकर ट्रांसजेंडर मांग कर रहे है.