कोरोना की दूसरी लहर के बीच विशेषज्ञों ने तीसरी लहर आने की भी आशंका जताई है और इसे बच्चों के लिए नुकसानदायक माना जा रहा है। अभी दूसरी लहर में ही हांफ चुका स्वास्थ्य विभाग कितना तैयार है ? राज्यभर में बाल रोग चिकित्सकों की भारी कमी है। करीब 50% पद खाली हैं और उसी के अनुसार बाकी सुविधाएं भी। सरकारी अस्पतालों में बाल रोग विशेषज्ञ और सुविधाओं की किल्लत भविष्य की चुनौतियों को लेकर डरा रही है। हालांकि, कोविड अस्पतालों में सरकार ने डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्तियां की हैं। लेकिन, बच्चों के उपचार और उनके मनोविज्ञान को समझने के लिए बाल रोग चिकित्सक भी काफी अहमियत रखते हैं।
राजधानी के अस्पतालों में ही पूरा नहीं मेडिकल स्टाफ
कोरोनेशन और गांधी अस्पताल में अभी तीन बाल रोग विशेषज्ञ हैं। गांधी अस्पताल में एनआईसीयू के संचालन को पांच बालरोग विशेषज्ञ, चार मेडिकल ऑफिसर, 16 स्टाफ की जरूरत है। दून अस्पताल में प्रोफेसर-एसोसिएट के एक-एक पद रिक्त हैं। इस अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर के बीच कोरोना से संक्रमित 25 बच्चे भर्ती हुए हैं।
हरिद्वार में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी
हरिद्वार के सरकारी अस्पतालों में बाल रोग चिकित्सकों के 13 पद स्वीकृत हैं। इनमें आधे से ज्यादा यानी आठ पद खाली हैं। जबकि वर्तमान में हरिद्वार बच्चों में संक्रमण के मामले में संवेदनशील जिले के रूप में सामने आया है। पूरे जिले में अब तक 887 बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं।
पौड़ी: नौ सीएचसी में एक भी डॉक्टर नहीं
पौड़ी जिले के बेस और संयुक्त अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ/डॉक्टरों के पद भरे हुए हैं। दूसरी तरफ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के स्तर पर हालात चिंताजनक हैं। यहां नौ सीएचसी में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। अब तक पौड़ी जिले में 10 साल तक की उम्र के 104 बच्चे कोरोना से संक्रमित पाए जा चुके हैं।
रुद्रप्रयाग-टिहरी में भी स्थिति ठीक नहीं
रुद्रप्रयाग जिले में छह पदों के मुकाबले केवल तीन बाल रोग विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। यहां 44 बच्चे संक्रमित हुए हैं। टिहरी जिले में बालरोग विशेषज्ञों के चार में से दो और उत्तरकाशी जिले में दो के मुकाबले एक पद खाली है। टिहरी और उत्तरकाशी में अभी किसी बच्चे में संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है।