चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों को यातना दिए जाने की सच्चाई पूरी दुनिया से छुपी नहीं है। इस बीच अब चीन के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बड़ा खुलासा किया है। उसने बताया कि देश के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुसलमानों पर चेहरे की पहचान (facial recognition) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता कैमरा सिस्टम (Artificial intelligence Camera System) का परीक्षण किया जा रहा है। बीबीसी के पैनोरमा से बात करते हुए, नाम न जाहिर करने की शर्त पर चीन के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने कहा कि उन्होंने इन सिस्टम्स को शिनजियांग प्रांत के पुलिस स्टेशनों में स्थापित किया है।
चूहों की तरह उइगर मुसलमानों पर होते हैं कई टेस्ट
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी सुरक्षा के डर से उस कंपनी के नाम का भी खुलासा नहीं किया जिसके लिए उन्होंने काम किया था। हालांकि, उन्होंने पांच उइगरों की तस्वीरें दिखाईं, जिन पर उन्होंने इस परीक्षण का दावा किया है। उन्होंने बीबीसी के पैनोरमा को बताया ‘चीनी सरकार उइगर मुसलमानों को विभिन्न प्रयोगों के लिए टेस्ट सब्जेक्ट के रूप में उपयोग करती है जैसे चूहों का उपयोग प्रयोगशालाओं में किया जाता है’। उन्होंने बताया कि हमने इमोशन डिटेक्शन कैमरा को सब्जेक्ट से 3 मी दूर रखा। यह एक लाई डिटेक्टर के समान है, लेकिन ये उससे कहीं बेहतर तकनीक है। उन्होंने शिनजियांग प्रांत के पुलिस थानों में कैमरे लगाने में अपनी भूमिका के बारे में भी बताया।
उइगर मुसलमानों पर होते हैं अत्याचार और बलात्कार
बता दें कि चीन ने हमेशा कहा है कि शिनजियांग क्षेत्र की निगरानी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अलगाववादियों ने यहां हमलों में सैकड़ों लोगों को मार डाला है। शिनजियांग कम से कम 12 मिलियन जातीय अल्पसंख्यक उइगरों का घर हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं, इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और उइगर मुसलमानों के साथ खराब व्यवहार को देखा गया है। चीन ने उनके लिए उस क्षेत्र में “पुनः शिक्षा केंद्र” भी स्थापित किए हैं। मानवाधिकारों के हनन, दुर्व्यवहार, बलात्कार और यातना को लेकर इन केंद्रों की आलोचना की गई है।
लंदन के चीनी दूतावास ने दी सफाई
इस खुलासे ने कई लोगों को चौंका दिया है। वहीं लंदन में चीनी दूतावास ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि चीन में सभी जातीय समूहों के राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों की गारंटी है और लोग अपनी जाति परवाह किए बिना सद्भाव से रहते हैं। यहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर कोई प्रतिबंध नहीं है।”