कोरोना काल के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व जंगल में किशनपुर क्षेत्र की अपेक्षा दुधवा क्षेत्र में भालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। ये भालू जंगल से निकलकर अंदर की सड़क तक आ जाते हैं। ऐसा टाइगर रिजर्व के बंद होने और इंसानी दखल न होने के कारण हुआ है। दुधवा क्षेत्र में 118 व किशनपुर क्षेत्र में 18 भालू रहते हैं। प्रदेश का इकलौता दुधवा टाइगर रिजर्व देश के साथ विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बनाए है। हर साल यहां के हरे-भरे जंगलों में स्वच्छंद विचरण करते दुर्लभ वन्यजीवों के दीदार करने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
यहां आने वाले विदेशी सैलानी बाघ, गैंडे व भालुओं को देखने के लिए उत्साहित रहते हैं। पिछले कुछ समय में बाघों की संख्या बढ़ने से सैलानियों को दुधवा और किशनपुर में अक्सर आसानी से बाघ के दीदार हो जाते रहे हैं। लेकिन अब भालुओं की संख्या में बड़ी बढ़त हुई है। 2019 से पहले पार्क प्रशासन के पास दुधवा जंगल में करीब 80 भालू के होने की जो जानकारी हुआ करती है थी वह बढ़कर 136 पहुंच चुकी है। भालुओं का एक जोड़ा तो अक्सर कर्मचारियों को नजर आ रहा है। जो जंगल को चार चांद लगाने का कार्य कर रहा है।
भालुओं का स्वादिष्ट भोजन है दीमक का घर
दुधवा टाइगर रिजर्व का जंगल भालुओं के स्वादिष्ट भोजन से पटा हुआ है। भालुओं का स्वादिष्ट भोजन दीमक की बांबी होती है जो कि दुधवा जंगल क्षेत्र में हजारों हजारों की तादाद में देखी जा सकती हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनोज कुमार सोनकर का कहना है कि दुधवा टाइगर रिजर्व जंगल में कोरोना काल में भालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। जंगल की गश्त के दौरान उन्हें भी किशनपुर व दुधवा क्षेत्र में अक्सर भालुओं की साइटिंग होती रहती है। यह संकेत भालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा होना है।