लॉकडाउन हो या कोविड कर्फ्यू रोज कमाकर खाने वाले लोगों के लिए इसके मायने एक जैसे ही है। पिछली बार की तरह इस बार भी लाखों लोगों का रोजगार ठप हो गया है। इस बार लोगों को कोविड की मार अलग से झेलनी पड़ी, जिसमें जमा पूंजी पूरी तरह खत्म हो गई। लेकिन पिछले बार के विपरीत इस बार सरकार ने किसी भी क्षेत्र में प्रभावित लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है। सरकार का तर्क है कि कोविड कफर्यू में आजीविका कमाने पर कोई रोक नहीं है।
परिवहन : गत वर्ष मार्च में लॉकडाउन लगने के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे परिवहन कर्मियों को सरकार ने तब एकमुश्त दो दो हजार रुपए की सहायता प्रदान की थी। इसमें बस, विक्रम, टैक्सी, मैक्सी के उत्तराखंड लाइसेंसधारी ड्राईवर – कंडक्टर को दो-दो हजार रुपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता प्रदान की गई। पिछली बार अनलॉक प्रक्रिया के तहत सरकार ने पचास प्रतिशत सवारी पर किराया बढ़ाकर कर भी परिवहन कारोबारियों को अप्रत्यक्ष राहत दी थी। लेकिन इस बार दोनों पहल अब तक नहीं हुई है।
खाद्य आपूर्ति : कोविड कफर्यू में एक मात्र राहत इस बार खाद्य विभाग ने दी है। गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान प्रत्येक राज्य खाद्य योजना वाले राशन कार्ड पर तीन महीने के लिए रियायती मूल्य पर 20 किलो अनाज दिया गया था। इस बार कोविड कफर्यू में भी प्रत्येक कार्ड धारक को 20-20 किलो अनाज प्रति महीने के लिए दिया जा रहा है। साथ ही इस साल 23 लाख राशन कार्ड धारकों को प्रति माह दो किलो चीनी अतिरिक्त देने का निर्णय किया गया है।
श्रम विभाग : लॉकडाउन में निर्माण कार्य रुक जाने पर गत वर्ष श्रम विभाग ने सभी पंजीकृत श्रमिकों के खाते में दो महीने तक एक- एक हजार रुपए राहत राशि के रूप में जमा किए। बाद में इस सुविधा को गैर पंजीकृत श्रमिकों के लिए भी खोल दिया गया। इस दौरान विभाग ने श्रमिकों को सूखा राशन भी वितरित किया। लेकिन इस साल ऐसी कोई सहायता प्रदान नहीं की गई। विभाग का तर्क है कि इस बार निर्माण कार्यों की छूट है, इस कारण मजदूरी का संकट उतना गहरा नहीं है।
पयर्टन कर्मी : गत वर्ष लॉकडाउन ठीक पर्यटन सीजन शुरू होने के समय लगा था। इस कारण होटल सहित पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां करीब छह महीने तक पूरी तरह बंद रही। पर्यटन क्षेत्र में हजारों की संख्या में लोग कार्यरत हैं। लॉकडाउन में सरकार ने प्रत्येक कर्मचारी को एक – एक हजार रुपए की सहायता प्रदान की थी। इसके साथ ही रॉफ्टिंग से जुड़े कारोबारियों को शुल्क माफ और एक मुश्त पांच पांच हजार रुपए की सहायता प्रदान की गई। लेकिन इस बार इस तरह की कोई पहल अब तक नहीं हुई है। अलबत्ता इस बार ईएसआई से जुड़े श्रमिकों को सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना इलाज की सुविधा दी गई।
पिछली बार लॉकडाउन लंबी अवधि का था, साथ ही काम धंधे पूरी तरह बंद हो गए थे। इस बार पूरी तरह कोविड कफर्यू को कुछ हफ्ते ही हुए हैं। साथ ही काम धंधे भी जारी हैं। इस बार सरकार का पूरा फोकस कोविड रोकथाम पर रहा, जिसमें अब कामयाबी मिल रही है। सरकार कोविड कफर्यू से प्रभावित लोगों की हर संभव मदद के लिए तैयार है।
सुबोध उनियाल, शासकीय प्रवक्ता
