विशेष प्रतिनिधि kakajee. com
रायगढ़।रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ विधान सभा मे कोयला अंचल में फिर एक बार सरगर्मी तेज होते नजर आ रही है।जानकारी के अनुसार
धरमजयगढ़ ब्लाक में जहां कोयला का अपार भंडार को देखते हुए भारत सरकार के कोल मंत्रालय विभाग द्वारा एस ई सी एल को लगभग 4400 एकड़ में दुर्गापुर खुली खदान के नाम से खुदाई करने के लिए 2009/10 में कोयला खदान आवंटित किया है। एसईसीएल द्वारा 2014 तक राज्य सरकार व केंद्र सरकार के नियमानुसार धारा 13 क्लियर कर प्रस्तावित भूमि को अपने नाम कर लिया गया।
लेकिन तब से आज तक एसईसीएल के अधिकारियों व शासन प्रशासन ने प्रभावित किसानों को मिलने वाले मुआवजे ओर प्रभावित लोगो के विस्थापन और नौकरी के पात्रता के संबंध में कोई स्पस्ट जानकारी दुर्गापुर के किसानों को नहीं दी है। जिसको लेकर क्षेत्र के किसान और सामाजिक कार्यकर्ता तथा जनप्रतिनिधियों ने फॉरेस्ट लैंड क्लियर के लिए आयोजित ग्राम सभा में एस ई सी एल के पक्ष में प्रस्ताव पारित नहीं होने दिया। जिस कारण आज तक इस ई सी एल का दुर्गापुर खुली खदान परियोजना अधर में लटकी है।
यदि पुरजोर तरीके से धरमजयगढ़ के किसान , सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों ने कंपनी का विरोध नहीं किया होता तो अब तक मात्र 6,8,और10 लाख या फिर उससे भी कम दाम में किसानों की जमीन उनसे छीन ली जाती।
2013/14 में अस्तित्व में आई दुर्गापुर खुली को अब लगभग 8 साल पूरे होने को आए इस बीच कई अधिकारी आये और गए पर किसी ने भी किसानों को मिलने वाली सुविधाओं, मुआवजा नौकरी और विस्थापन के बारे में बात नहीं की है बस इन एसईसीएल वालो को केवल अपने लिए ग्राम सभा में किसी भी तरह प्रस्ताव पारित कराना है।
जिसके लिए एस ई सी एल के लोगों ने अंग्रेज़ो की तरह साम दाम दण्ड भेद का प्रयोग कर क्षेत्र दो चार दलाल भी सक्रिय कर दिया है। यह तक की एक दलाल को ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव भी लड़ाया परंतु ऊपर वाले के यहां,, देर है अंधेर नहीं,, एडी चोटी का जोर लगाने और लाखों खर्च करने के बाद भी उसे हार का मुंह देखना ही पड़ा। हालाकि इसी बीच फर्जी तरीके से बिना किसानों के जानकारी के एस ई सी एल के द्वारा तीन गांवों को गणना भी कर लिया है।
इसी फर्जी क्रिया कलापो के कारण यहां के ग्रामीणों ने एक अधिकारी की जमकर ठुकाई भी कर दी गई थी । अबकी बार फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों के साथ साथ उनके दल्लो की मरम्मत न हो जाएं। हालाकि इस घटना के बाद उस अधिकारी ने अपना तबादला भी का लिया था। इस लिए काफी समय तक क्षेत्र का माहौल शान्त हो गया था।
अब लंबे समय के बाद दुर्गापुर खुली खदान प्रोजेक्ट में एरिया मेनेजर की नियुक्ति हुई है। अब एसईसीएल में नए अफ़सर के आते ही एक कथित नेतानुमा दलाल अपने चार चमचों के साथ शोशल मीडिया तथा अन्य माध्यम से एसईसीएल पक्ष (सपोर्ट) में भ्रम और अफ़वा फैला कर माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि अफसर उसकी और उसके चमचों की पूछ परख करता रहे। जैसा कि पहले भी हुआ है।
जानकारी हो कि जब धरमजयगढ़ के शान्त फिजा में ज़हर घोलने के लिए डिबी पावर और बेदंता जैसे बड़ी कम्पनियों का आमद हुआ था तब धरमजयगढ़ की शत प्रतिशत किसान, आम जनता और सामाजिक कार्यकर्ता ने कम्पनियों का भारी विरोध किया था। परंतु इसी दलाल ने आपने पत्नी के नाम से संचालित स्व सहायता समूह के माध्यम से पत्र जारी कर लिखित में बेदांता समूह को समर्थन दिया था। तथा डीबी पावर में भी खूब आपनी ठेकेदारी चमकाया था। अब वो एसईसीएल में अपने दलाली के दम पर अपनी किस्मत चमकाने लगा है। चाहे उसके निजी स्वार्थ के लिए क्षेत्र के किसानों का कितना बड़ा नुकसान ही क्यू न हो जाए।
अब क्षेत्र में एसईसीएल के अधिकारी और उनके साथ मिले हुए दो चार दलाल किसानों को गुमराह करने के लिए गलत और भ्रामक जानकारी दे रहे है साथ अभी जमीन नहीं देने पर बाद में नौकरी नहीं मिलने का अफवा भी फैला रहे है। जबकि एसईसीएल के अधिकारी और उनके पक्ष में बात करने वाले दलाल लोग बंगाली समुदाय के किसानों को बहुत बड़ा धोखा दे रहे है।
फिलहाल एसईसीएल ने जो रेट लिस्ट जारी किया है उसके मुताबिक तराइमार के जमीन का लगभग 22 लाख रुपए प्रति एकड़ और बायासी का लगभग 16 लाख तथा धरमजयगढ़ और दुर्गापुर के बंगाली किसानों के जमीन का कीमत मात्र 6/ 8/और 10 लाख प्रति एकड़ निर्धारित किया है जो बंगाली किसानों के साथ सरासर धोका है।
एसईसीएल के लोग और उनके साथ मिले हुए कुछ गद्दार समाज का कोड़ किसी भी तरह कम्पनी के पक्ष में ग्रामसभा और सर्वे तथा जनसुनवाई कारना चाहते है। ताकि इसके बाद एसईसीएल को किसी भी किसान सी सहमती लेने की जरूरत न पड़े।
परंतु दुर्गापुर खुली खदान में प्रभावित किसान समझदार भी है और जागरूक भी है यहां का किसान किसी के बहकावे नहीं फसने वाला है किसान आज भी आपने मांग पर कायम है। किसानों का साफ कहना है कि एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारी व शासन प्रशासन पहले प्रभावित किसानों प्रभावित क्षेत्र का अधिकतम दर ताराईमर के हिसाब से लगभग 22 से 30 लाख मुआवजा एक समान दर निर्धारित करे । सभी प्रभावित किसानों की स्थानीय स्तर पर नौकरी की व्यवस्था करे। और बेहतर पुनर विस्थापन के स्थान चयन विस्थापन की व्यवस्था करे। फिर ग्रामसभा, सर्वे और जनसुनवाई के विषय पर विचार किया जाएगा।
