बिहार के सरकारी विद्यालयों में पंचायती राज तथा नगर निकाय नियोजन इकाइयों द्वारा बहाल ऐसे शिक्षक, जिनके प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच नहीं हुई है, उनके लिए राज्य सरकार ने अंतिम मोहलत के रूप में एक माह का समय दिया है। ऐसे शिक्षकों की संख्या 88 हजार है। इन्हें इसी माह 21 जून से 20 जुलाई तक अपने प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग द्वारा एनआईसी की मदद से बनाए गए वेब पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। साथ ही उनको अबतक प्राप्त वेतन की राशि भी उनसे लोकमांग वसूली अधिनियम प्रावधान के तहत वसूल की जाएगी।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि अबतक जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों से संबंधित फोल्डर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को डीईओ द्वारा उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, उनके फोल्डर को उपलब्ध कराने के लिए अंतिम विकल्प के तौर पर विभाग द्वारा एक वेब-पोर्टल तैयार किया गया है। इस पोर्टल पर जिलावार वैसे शिक्षकों की सूची अपलोड की गई है, जिनकी नियुक्ति से संबंधित अभिलेख जांच हेतु निगरानी विभाग को उपलब्ध कराया जाना है। विदित हो कि 6 दिसम्बर 2016 को पटना हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुपालन में पंचायती राज संस्थान एवं नगर निकाय संस्थान के तहत 2006 से 2015 की अवधि में नियुक्त सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच की जानी है। इस आदेश के करीब साढ़े चार साल बाद भी ऐसे करीब 3.10 लाख शिक्षकों में से 1 लाख 3 हजार 917 शिक्षकों के नियोजन फोल्डर अप्राप्त थे। मई में शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ को ऐसे शिक्षकों के ब्योरे जिले के एनआईसी के वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा तो 88 हजार ऐसे शिक्षकों के नाम भी उजागर हो गए, जिनकी जांच अभी बाकी है। मार्च से 15 जून के बीच 15 हजार शिक्षकों के फोल्डर प्राप्त हो जाने से यह संख्या एक लाख से 88 हजार पर पहुंची है।
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