यूपी के माध्यमिक स्कूलों में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक में पढ़ने वाले छात्रों के 47 फीसदी अभिभावकों ने स्कूल खोलने की लिखित सहमति नहीं दी है। डीआईओएस स्तर से यूपी बोर्ड को यह जानकारी भेजी जा रही है। इसी के आधार पर स्कूल खोलने पर फैसला लिया जाएगा।
यूपी बोर्ड ने डीआईओएस को आदेश जारी कर अभिभावकों से स्कूल खोलने के सहमति पत्र मांगे थे। स्कूल खोले या नहीं अभिभावकों को इसके बारे में राय देनी थी। गुरुवार को प्रधानाचार्यों द्वारा बच्चों के अभिभावकों से सहमति पत्र लिए जाने का आखिरी दिन था।
कोरोना की दूसरी लहर की वजह से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट विद्यालय मार्च से बंद हैं। स्कूलों में इस समय ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है। हालांकि, अब दूसरी लहर का असर मंद पड़ चुका है। इसे देखते हुए बोर्ड ने कक्षा नौ से 12 तक के स्कूलों को खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया गया कि प्रधानाचार्यों ने अभिभावकों से पूछा कि फिलहाल की परिस्थितियों में वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे या नहीं।
अफसरों के अनुसार, 53 प्रतिशत अभिभावकों ने स्कूल खोलने की हामी भर दी है। गुरुवार शाम तक सभी लिखित पत्रों का ब्योरा डीआईओएस कार्यालय पहुंच गया। वहीं, 47 प्रतिशत अभिभावकों ने स्कूल खोलने की लिखित सहमति नहीं दी है। जिला विद्यालय निरीक्षक अब अभिभावकों की राय को बोर्ड को भेज देंगे।
एक जुलाई से खुल सकते हैं स्कूल
अफसरों के अनुसार, एक जुलाई से कक्षा नौ से 12 तक के स्कूलों को खोला जा सकता है। हालांकि, इस संबंध में अंतिम निर्णय शासन स्तर से ही होगा। स्कूल खुलने पर प्रबंधन को कोरोना से बचाव के सभी इंतजाम करने होंगे। प्रत्येक छात्र, शिक्षक और कर्मचारी मास्क पहनकर जाएंगे। सेनेटाइजर का प्रयोग अनिवार्य होगा। साथ ही दो गज की दूरी बनाकर छात्र बैठेंगे।
‘बोर्ड के आदेशानुसार अभिभावकों से स्कूल खोलने के संबंध में सहमति पत्र मांगे। 53 प्रतिशत ने सहमति दी है, जबकि 47 फीसदी ने जवाब नहीं दिया। सहमति पत्रों की जानकारी बोर्ड को दी जा रही है। स्कूल खुलने का निर्णय शासन स्तर से लिया जाएगा।” -धर्मवीर सिंह, डीआईओएस