छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक आंगनवाड़ी केंद्र में लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां के टेमरी गांव स्थित आंगनवाड़ी केंद्र में एक बच्ची अंदर रह गई थी। केंद्र के कर्मचारी बाहर से ताला लगाकर चले गए थे। जब बच्ची बहुत देर तक घर नहीं पहुंची तो उसके माता-पिता ने उसे ढूंढना शुरू किया। जब वे आंगनवाड़ी केंद्र के पास पहुंचे तो वहां से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। इसके बाद उन्होंने ताला तोड़कर बच्चे को निकाला। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है।
बिना चेक किए ताला लगाकर चले गए
जानकारी के मुताबिक आंगनवाड़ी केंद्र पर यह बच्ची सुबह करीब पौने ग्यारह बजे पहुंची थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वहां पर महिला स्टाफ के साथ थोड़ी देर खेलने के बाद वह अपने आप में मगन हो गई। वहीं स्टाफ भी अपने काम में व्यस्त हो गया। कुछ देर के बाद एक आंगनवाड़ी कर्मचारी और उसके हेल्पर केंद्र में बाहर से ताला लगाकर चले गए। उन्होंने यह देखना भी जरूरी नहीं समझा कि अंदर कोई बच्चा रह तो नहीं गया। बाद में जैसे ही बच्ची को एहसास हुआ कि उस अंधेरी बिल्डिंग में वह अकेले रह गई है, उसने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। लेकिन वहां पर उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।
परेशान हो उठे थे माता-पिता
उधर काफी देर होने के बाद भी जब बच्ची घर नहीं पहुंची तो उसके माता-पिता परेशान हो उठे। इसके बाद उन्होंने उसे ढूंढना शुरू कर दिया। जब सभी दोस्तों ने बच्ची के अपने यहां होने से इंकार कर दिया तो माता-पिता परेशान हो उठे। इसी बीच किसी ने उन्हें बताया कि उन्होंने सुबह उसे आंगनवाड़ी केंद्र की तरफ जाते देखा था। इसके बाद भागते हुए दोनों केंद्र पर पहुंचे, जहां उन्हें बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। इसके बाद उन्होंने गांववालों को जुटाया और ताला तोड़ दिया। घंटों से भूखी-प्यासी और रोती हुई बच्ची तब तक बेहोश होने के कगार पर पहुंच चुकी थी। बाद में मामले की जानकारी होने पर अगले दिन वरिष्ठ अधिकारी भी केंद्र पर पहुंचे। वहीं बच्ची के मां-बाप की शिकायत पर एक कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।