26 villages will be Naxal free: अनिल मिश्रा छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद के केंद्र में रहे दंतेवाड़ा जिले की छवि बदल रही है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी के मार्गदर्शन में पुलिस नक्सल समस्या के समाधान के मामले में नित नए आयाम गढ़ रही है। बीते 15 अगस्त को पहली बार जिले के 15 गांवों को नक्सलवाद से आजादी मिली थी। अब 26 जनवरी को 26 अन्य गांवों को नक्सलमुक्त घोषित कराने की तैयारी में पुलिस जुट गई है।
दंतेवाड़ा एसपी डा. अभिषेक पल्लव ने इसके लिए 10 बिंदुओं की कार्यसूची (रोस्टर) तैयार की है। इसके तहत यह देखा जा रहा है कि बीते एक साल में कोई नक्सल वारदात हुई है या नहीं, पंचायत में नक्सल फ्रंटल आर्गनाइजेशन सक्रिय हैं या नहीं, वे बैठक लेते हैं या नहीं, हथियारबंद नक्सली गांव में रूकते हैं या नहीं, लेवी वसूली करते हैं या नहीं, गांव में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं हैं या नहीं, प्रशासन व पुलिस के अफसर गांव में आना-जाना कर पाते हैं या नहीं, पंचायत के प्रतिनिधि गांव में ही रहते हैं या कहीं और, गांव में बिना सुरक्षा के विकास के काम होते हैं या नहीं।
इन बिंदुओं के आधार पर तय किया जाता है कि कोई गांव नक्सल समस्या से कितना प्रभावित है। 26 जनवरी को नक्सलमुक्त करने के लिए किन गांवों पर नजर है यह अभी गोपनीय रखा गया है। हालांकि जिन गांवों में सुरक्षा बल और विकास एजेंसियों की सक्रियता बढ़ी है उन्हें देख अनुमान लगाया जा सकता है कि यही गांव नक्सलमुक्त घोषित होंगे। इन गांवों में अति नक्सल प्रभावित पालनार, समेली, अरनपुर, श्यामगिरी, खुटेपाल आदि शामिल हैं जो नक्सल वारदातों की वजह से चर्चा में रहे हैं। श्यामगिरी वह गांव है जहां 2011 के लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियोें ने दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या की थी। जिन गांवों को नक्सलमुक्त करना है वहां विकास के काम तेज किए गए हैं। सड़कों और संचार साधनों का जाल बिछाया जा रहा है।
रोजगार के नए विकल्प तलाश रही पुलिस
अब तक आत्मसमर्पित नक्सलियों या पीड़ित ग्रामीणों के लिए रोजगार का एकमात्र विकल्प पुलिस की ओर से नक्सल अभियान के लिएहथियार उठाना था। दंतेवाड़ा पुलिस अब आत्मसमर्पित नक्सलियों व पीड़ित ग्रामीणों के लिए गांव में ही रोजगार के विकल्प तलाश रही है। उन्हें बढ़ई, बिजली मिस्त्री, राजमिस्त्री, बाइक मैकेनिक, मोबाइल रिपेयरिंग, ट्रेक्टर रिपेयिरिंग, हस्तशिल्प, इमली व महुआ प्रोसेसिंग, राशन की दुकान, दवा की दुकान, नर्सिंग का कोर्स आदि के लिए तैयार किया जा रहा है। नक्सलियों की लाइवलीहुड कालेज में ट्रेनिंग चल रही है। दंतेवाड़ा में डेनेक्स ब्रांड कंपनी में उनको रोजगार दिया गया है।
15 अगस्त को ये गांव हुए थे स्वतंत्र
दंतेवाड़ा पुलिस ने बीते 15 अगस्त को जिन 15 गांवों को नक्सलमुक्त घोषित किया था, वहां अब कोई नक्सल वारदात नहीं हो रही है। गांवों में विकास की गति तेज हुई है। नक्सलमुक्त गांवों में हितामेटा, हिड़पाल, बड़े सुरोखी, बड़े तुमनार, धुरली, मसेनार, गामावाड़ा, बड़े कमेली, चंदेनार, फूलनार, कुपेर, कंवलनार, डुमाम, गढ़मिरी, केशापुर शामिल हैं।
दंतेवाड़ा में प्रशासन से समन्वय बनाकर विकास की गति तेज की गई है। इससे ग्रामीणों का नक्सलवाद से मोहभंग हुआ है। धीरे-धीरे पूरा जिला नक्सल समस्या से मुक्त होता जा रहा है। इस बार 26 जनवरी को 26 और गांवों को नक्सलमुक्त घोषित करेंगे।