बिलासपुर। नक्सल आपरेशन में शामिल पुलिस कर्मी को आउटआफ टर्न प्रमोशन नहीं देने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 90 दिन के भीतर आउटआफ टर्न देने पर विचार करने का आदेश दिया है।
राजनांदगांव जिले के छुरिया तहसील के ग्राम जोधरा निवासी कुबेर सिन्हा, एसटीएफ, बघेरा, जिला दुर्ग में आरक्षक (कान्सटेबल ) के पद पर पदस्थ थे। उक्त पदस्थापना के दौरान उन्हें एसटीएफ, बघेरा के अन्य पुलिस कर्मचारियों दिलीप वासनिक ( प्लाटून कमान्डर ), मनीष शर्मा ( सहायक प्लाटून कमान्डर ), मन्नाराम ( प्रधान आरक्षक ), बहादुर सिंह मरावी ( प्रधान आरक्षक ) के साथ धनडबरा, जिला कबीरधाम में एक नक्सल ऑपरेशन में भेजा गया।
उक्त नक्सल ऑपरेशन में समस्त पुलिस कर्मचारियों द्वारा एक नक्सली का एन्काउन्टर किया गया। उक्त नक्सल ऑपरेशन के पश्चात् पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा अन्य पुलिस कर्मचारियों का उच्च पद पर प्रमोशन कर दिया गया। परन्तु कुबेर सिन्हा को आउट आफ टर्न प्रमोशन नहीं दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर कुबेर सिन्हा द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता कुबेर सिन्हा एसटीएफ बघेरा के अन्य पुलिस कर्मचारियों दिलीप वासनिक, मनीष शर्मा, मन्नाराम, बहादुर सिंह मरावी के साथ नक्सल ऑपरेशन में शामिल होकर एक नक्सली का एन्काउन्टर किया गया था। इसके बाद भी याचिकाकर्ता के साथ भेदभावपूर्ण कार्यवाही करते हुए याचिकाकर्ता का नाम आउट ऑफ टर्न प्रमोशन हेतु नहीं भेजा गया। जबकि उक्त घटनाक्रम के बाद दर्ज एफ.आई.आर. नक्सल ऑपरेशन के बाद दर्ज रोजनामचा सान्हा एवं अन्य दस्तावेजों में भी याचिकाकर्ता कुबेर सिन्हा का नाम दर्ज है। इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता के साथ भेदभावपूर्ण कार्यवाही करते हुए उसे उच्च पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान नहीं किया गया। उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् रिट याचिका को स्वीकार कर पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी ), अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल एवं पुलिस अधीक्षक एसटीएफ बघेरा को यह आदेशित किया गया कि वे 90 दिवस के भीतर याचिकाकर्ता के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मामले का न्यायोचित निराकरण कर प्रमोशन प्रदान करें।
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