प्रदेश में मिलावटी व जहरीली शराब पीने से मरने या बीमार होने की घटनाओं में आबकारी विभाग के बड़े अफसरों के बजाए छोटे पदों पर तैनात कार्मिकों की ही गर्दन फंस रही है। पिछले दो-तीन वर्षों में हुई ऐसी घटनाओं में यह देखा जा रहा है। शुक्रवार को बुलंदशहर में हुए जहरीली शराब कांड में भी वहां के सिकंदराबाद क्षेत्र में तैनात आबकारी निरीक्षक प्रभात वर्धन, प्रधान आबकारी सिपाही रामबाबू और आबकारी सिपाहियों श्रीकांत सोम व सलीम अहमद को सरकारी कामकाज में लापरवाही बरतने के आरोप में पृथम दृष्टया दोषी पाते हुए निलम्बित कर दिया गया।
मगर मेरठ जोन के संयुक्त आबकारी आयुक्त राजेश मणि त्रिपाठी व उप आबकारी आयुक्त सुरेश चन्द्रा पटेल और जिला आबकारी अधिकारी संजय कुमार त्रिपाठी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करते हुए उन्हें उनके तैनाती स्थल से हटा कर आबकारी आयुक्त मुख्यालय से सम्बद्ध करने की ही औपचारिक दण्डात्मक कार्रवाई हुई।
इससे पहले बीते दिसम्बर माह में लखनऊ के बंथरा इलाके में हुए जहरीली शराब कांड में भी लखनऊ के तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी सुदर्शन सिंह के खिलाफ महज इतनी कार्रवाई हुई कि वह आयुक्त मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिये गये।
इसी क्रम में 25 मई 2018 को कानपुर में हुए जहरीली शराब कांड में तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त सुनील मिश्र और संयुक्त आबकारी आयुक्त के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी। 2018 में ही सहारनपुर-हरिद्वार में जहरीली शराब पीने से हुई त्रासदी में उ.प्र.व उत्तराखंड के दर्जनों लोग मरे थे, उस मामले में भी तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त राकेश चतुर्वेदी और संयुक्त आबकारी आयुक्त राजेश मणि त्रिपाठी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी। उसी साल देवरिया में हुए जहरीली शराब कांड में उप आबकारी आयुक्त राजेश कुमार सिन्हा और संयुक्त आबकारी आयुक्त एस.पी.तिवारी बरी कर दिये गये थे।
जनवरी 2019 में कानपुर में हुए जहरीली शराब कांड में तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त और संयुक्त आबकारी आयुक्त के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। 28 मई 2019 को बाराबंकी में हुए जहरीली शराब कांड में उप आबकारी आयुक्त स्कंध सिंह और संयुक्त आबकारी आयुक्त हरीशचन्द्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि 22 मई से अवकाश पर चल रहे जिला आबकारी अधिकारी एस.एन.दुबे को निलंबित किया गया और वह आज तक बहाल नहीं किये जा सके।
पिछले दो वर्षों में आबकारी विभाग के जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आबकारी आयुक्त, आबकारी निरीक्षक आदि पदों पर करीब 25 लोग निलंबित हुए जो कि आज भी निलंबित ही चल रहे हैं। जिनमें कानपुर में जनवरी 2019 के कांड में निलम्बित तत्कालीन जिला आबकारी अधिकरी राजेश कुमार मिश्र, देवरिया कांड में निलम्बित तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी रामू सिंह यादव, सहारनपुर कांड में निलम्बित तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी अजय सिंह, 25 मई 2018 के कानपुर जहरीली शराब कांड में निलम्बित कानपुर नगर के जिला आबकारी अधिकारी अभिमन्यु प्रताप सिंह और कानपुर देहात के जिला आबकारी अधिकारी हेमंत चौधरी आदि प्रमुख हैं।
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