बिहार की राजधानी पटना में एक बेहद ही ऐतिहासिक व पुराना कुआं बसा हुआ है जिसका नाम है ‘अगम कुआं’। हर पत्थर की अपनी कहानी, अपना इतिहास और अपनी वजह होती है जिसके लिए उसका निर्माण कराया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम ‘अगम कुएं’ के बारे में गहराई से जानेंगे।
किसने की ‘अगम कुएं’ की खोज?
जानकारी के अनुसार, 1890 के दशक में ब्रिटिश खोजकर्ता लॉरेंस वेडेल ने पाटलिपुत्र के खंडहरों को ढूंढते हुए ‘अगम कुआं’ की खोज की थी। उन्होंने ही सबसे पहले इस कुएं को अशोक द्वारा बनाए गए पौराणिक कुएं के रूप में पहचाना था।
किसने बनवाया था ‘अगम कुआं’?
जानकारी है कि ‘अगम कुएं’ का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा करवाया गया था। हमने इस ऐतिहासिक कुएं की कहानी यहां रहने वाले स्थानीय लोगों से जाननी चाही। 50 वर्षीय रागिनी इतिहास के उन पन्नों को फिर याद करते हुए कहती हैं कि सम्राट अशोक ने उस दौर में अपने 99 भाइयों का कत्ल करा दिया था। आगे कहा कि अगम कुआं सम्राट के छुपे खज़ाने का गवाह है जिसके बारे में आज तक कोई भी नहीं जान पाया है। कौन जाने यह कुआं कितना गहरा है और उसकी गहराई में इतिहास के न जाने कितने राज़ छिपे हैं। इन दबे राज़ों को आज हर कोई बाहर निकलना चाहता है लेकिन अभी तक कोई कामयाब नहीं हो पाया है।
लोग कहते हैं कि अंग्रेज़ों ने खज़ाने के लालच में कुएं के पानी को निकालने की बहुत कोशिश की, सारी ताकत लगा दी लेकिन कुएं का पानी कभी कम ही नहीं हुआ।
क्यों बनवाया गया था ‘अगम कुआं’ ?
रहस्य से भरे कुएं के बारे में कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने अपने 99 सौतेले भाइयों की हत्या कर उनकी लाशों को इसी कुएं में डलवाया था। साथ ही यह भी कहा जाता है कि ‘अगम कुएं’ को सम्राट ने अपने दुश्मन की हत्या कर लाश फेंकने के लिए ही बनवाया था। जानकारी है कि सम्राट अशोक के समय भारत आये चीनी दार्शनिकों ने अपनी किताबों में इस कुएं का ज़िक्र भी कुछ इसी तरह से किया है।
कभी नहीं सूखता कुएं का पानी
ऑटो चालक महेश ने खबर लहरिया को बताया, लोग यहां कुआं देखने के साथ-साथ पास में बसे शीतला माता का मंदिर भी देखने आते हैं। देश-विदेश से लोग इस कुएं को देखने आते हैं। कहा कि इस कुएं का पानी किसी भी मौसम में कम नहीं होता। बेशक भयंकर सूखा क्यों न पड़ जाए। कुएं के पानी में हमेशा बढ़ोतरी ही हुई है।
जानकारी है कि इस कुएं का पानी हमेशा रंग बदलता रहता है। वहीं गर्मियों में इसके कुएं के पानी का लेवल सामान्य लेवल से एक से डेढ़ फ़ीट नीचे चले जाता है। वहीं बारिश के मौसम में पानी का लेवल फिर एक से डेढ़ फ़ीट ऊपर हो जाता है।
ऑटो चालक ने बताया कि पहले यह कुआं हमेशा खुला रहता था तो लोग उसमें पूजा का सामान डाल दिया करते थे जिससे गंदगी फैलती थी। अब शासन द्वारा कुएं को बंद करवा दिया गया है। अब इसे सिर्फ बाहर से ही शोपीस की तरह देखा जा सकता है। हाँ, लोग यहां से पीने के लिए पानी निकालते हैं और यहां के पानी को गंगला जल की तरह अपने घरों में भी ले जाते हैं।
इस कुएं की कहानी अभी-भी अनकही है क्योंकि कोई भी इसके राज़ को खोलकर बयां नहीं कर पाया है। अगर आपको ऐसी जगहों में दिलचस्पी है तो यह जगह आपके घूमने के लिए सबसे बेहतर है तो ज़रूर आइयेगा, अपने दोस्तों व परिवार के साथ इस कुएं की रहस्य्मयी कहानी के सफर पर।