कब तक रहेगा सूतक काल? जानें इस दौरान क्या करें, क्या न करें

by Kakajee News

आज यानी 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण है । यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कुछ भागों में भी देखा जा सकेगा। भारत जैसे धर्म प्रधान देश में ग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और आध्यात्मिक चेतना से जुड़ा एक विशेष अवसर है। विशेषकर चंद्रग्रहण, जहां पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है, वह धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इसके साथ ही जो समय ग्रहण से पहले आता है, उसे “सूतक काल” कहा जाता है। यह काल पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सूतक काल कब शुरू और समाप्त होगा और इस दौरान हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
भारत में कहां कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण
आज लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण भारत के अधिकांश हिस्सों में देखा जा सकेगा। वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टिकोण से यह एक दुर्लभ अवसर होगा जब चंद्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया में प्रवेश करेगा और “ब्लड मून” का रूप लेगा। नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में यह खगोलीय दृश्य साफ़ दिखाई देगा। इसके अलावा, यह ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देने वाला है।
सूतक काल क्या होता है?
सूतक काल, हिन्दू धर्म में एक ऐसा समय माना जाता है जो किसी ग्रहण (चंद्र या सूर्य) से पूर्व शुरू होता है। चंद्रग्रहण के मामले में, सूतक काल ग्रहण के लगभग 9 घंटे पहले शुरू होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस काल में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है क्योंकि राहु और केतु ग्रहों का प्रभाव चंद्रमा पर पड़ता है। इसी कारण से इसे अशुभ समय माना जाता है। इस अवधि में पूजा-पाठ, भोजन, श्रंगार और किसी भी शुभ कार्य को निषिद्ध माना गया है। यह समय आध्यात्मिक साधना, जप, ध्यान और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त होता है। सूतक काल का मुख्य उद्देश्य आत्मा और वातावरण को शुद्ध बनाए रखना है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। इसलिए ज्योतिष और धर्मशास्त्र दोनों में इस समय का विशेष महत्व बताया गया है।

सूतक काल कब शुरू और समाप्त होगा?
सूतक आरंभ होगा: 7 सितंबर 2025, दोपहर 12:57 बजे
सूतक समाप्त होगा: 8 सितंबर 2025, रात 1:27 बजे

सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए?
सूतक काल को अशुद्ध समय माना गया है और इस दौरान कई धार्मिक वर्जनाएं लागू होती हैं। यह समय ऐसा होता है जब व्यक्ति को अपने आचरण और दिनचर्या पर विशेष संयम बरतना चाहिए।
भोजन और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए
बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए
कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए
मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं
गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे चाकू, कैंची, सुई जैसे धारदार चीज़ों का उपयोग नहीं करना
मोबाइल, टीवी पर मनोरंजन से भी बचने की सलाह दी जाती है
हालांकि, बीमार, वृद्ध और बच्चों को इन नियमों से कुछ छूट दी जाती है, लेकिन सामान्य रूप से इन नियमों का पालन करना आध्यात्मिक दृष्टि से उत्तम माना गया है।

सूतक काल में क्या करना चाहिए?
ॐ नमः शिवाय, ॐ गं गणपतये नमः जैसे मंत्र का जाप करें।
संतान रक्षा मंत्र या विशेष शांति मंत्रों का उच्चारण करें।
गीता, रामचरितमानस या दुर्गा चालीसा जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
संभव हो तो मौन धारण करें और मानसिक जाप करें।
नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर सकारात्मक चिंतन करें।

ग्रहण समाप्ति के बाद क्या करना चाहिए?
स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर और पूजा स्थल की सफाई करें।
भगवान को भोग लगाएं और दीप जलाएं।
बचा हुआ भोजन त्याग दें। यदि उसमें ग्रहण से पहले तुलसी या कुशा की पत्तियां डाली हो तभी उसका सेवन करें।
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें ।

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