छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित शंकरा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की अमानवीयता के चलते एक नवजात की तड़प-तड़प कर मौत हो गई। जन्म के बाद बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इस पर डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रखवा दिया। फिर परिजनों से 10 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया। परिजनों रुपये नहीं दे पाए तो नवजात को वेंटिलेटर से हटाकर उनके हाथ में पकड़ा दिया। वहीं डेढ़ घंटे बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। जबकि उसकी मां की जन्म देने के बाद ही मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, बेमेतरा के पथरी गांव निवासी बैसाखिन बाई पत्नी शंकर निषाद गर्भवती थी। डिलीवरी से पहले उसकी तबीयत काफी बिगड़ गई। इसके चलते उसे भिलाई के जुनवानी स्थित शंकरा मेडिकल अस्पताल रेफर किया गया। वहां शनिवार शाम डिलीवरी के दौरान बैसाखिन बाई की मौत हो गई। डॉक्टरों ने नवजात का चेकअप किया तो उसकी भी हालत नाजुकी थी। वह सांस नहीं ले पा रहा था। इसके बाद बच्चे को तुरंत एसएनसीयू भेजा गया और वेंटिलेटर पर रख दिया गया।
डॉक्टरों ने इलाज के लिए परिजनों से आयुष्मान कार्ड मांगा, लेकिन परिजनों ने नहीं होने की बात कही। इसके बाद शंकरा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उन्हें 10 हजार रुपये जमा करने को कहा। आरोप है कि, परिजनों तत्काल रुपये जमा करने में असमर्थता जताई तो डॉक्टरों ने इलाज से इनकार कर दिया। बच्चे को भी वेंटिलेटर से बाहर निकालकर परिजन की गोद में दे दिया गया। कुछ घंटे बाद नवजात ने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में जमकर हंगामा किया।
सूचना मिलने पर स्मृति नगर थाना पुलिस भी पहुंच गई। उन्होंने समझाकर परिजनों को शांत कराया। परिजनों के बयान लेकर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इसके बाद शव को सुपेला मॉच्युरी में रखवा दिया गया है। दूसरी ओर पूरे मामले को कॉलेज प्रबंधन ने पहले तो दबाने का प्रयास किया। जब परिजनों ने मामले की शिकायत पुलिस में की तो सच्चाई सामने आई। उसे छिपाने के लिए डॉक्टरों ने मीडिया कवरेज पर भी रोक लगाने का प्रयास किया। फिलहाल अस्पताल प्रबंधन इसके लिए परिजनों को ही दोषी बता रहा है।