रायगढ़ । इस्कॉन प्रचार केंद्र रायगढ़ द्वारा मरीन ड्राइव स्थित कोलता समाज के सामुदायिक भवन में रविवार को राधा अष्टमी के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 5 बजे मंगला आरती के साथ हुई। उसके बाद पूर्वाह्न 7 बजे से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान हुए।
इस्कॉन प्रचार केंद्र रायगढ़ के मुख्य प्रचार प्रभारी मिथिलापति दास प्रभु के निर्देशन में, गिरिराज प्रभु की अध्यक्षता में, कमल किशोर दास प्रभु के प्रभार में रायगढ़ में पहली बार इतने वृहत स्तर पर इस्कॉन प्रचार केंद्र रायगढ़ ने राधाष्टमी का पावन उत्सव मनाया। इस्कॉन प्रचार केंद्र रायगढ़ के सदस्य सप्ताह भर पहले से ही इसकी तैयारी में जुट गए थे और सभी में कार्य विभाजित कर दिया गया था। इसी कारण सतीश पाण्डेय, आशीष वर्मा, संतोष बैरागी के कुशल नेतृत्व में राधाष्टमी का सफल आयोजन हुआ।
सुबह 9 बजे राधा अष्टमी की कथा और विस्तारीकरण प्रचार केंद्र की सदस्य वसुंधरा पाण्डेय जी ने उपस्थित भक्तों को सुनाया। उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में इस तिथि को श्रीराधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्रीराधाजी वृषभान की यज्ञ भूमि से प्रकट हुई थी। विभिन्न शास्त्रों में अलग-अलग व्याख्या की गई है।सनातन धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। राधा अष्टमी पर व्रत रखा जाता है, इस दिन राधा रानी की पूजा उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। जो लोग राधा रानी को प्रसन्न कर लेते हैं, उनसे भगवान श्रीकृष्ण अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। राधा रानी की पूजा के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है।
कथा के उपरांत हरिनाम संकीर्तन में आए सभी श्रद्धालु मगन होकर खुद को थिरकने से रोक नहीं पाए। दोपहर 11.30 बजे से महा अभिषेक (राधा माधव) किया गया। 2 घंटे तक चले इस महाअभिषेक में 400 श्रद्धालुओं ने विभिन्न प्रकार के द्रव्यों से किया। अभिषेक के उपरांत 56 भोग निवेदन एवं महाआरती की गई और अंत में काफी संख्या में आए श्रद्धालुओं एवं अनुयायियों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। लोगों ने उत्साहपूर्वक बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।
मिथिलापति प्रभुजी ने बताया कि राधा रानी भगवान की तीन शक्तियों में अंतरंग, बहिरंग व तटस्थ में अंतरंग शक्ति है। राधा रानी और कृष्ण में कोई अंतर नहीं है। बिना राधा रानी की कृपा से कृष्ण भक्ति प्राप्त नहीं हो सकती। गोलोक धाम वृंदावन की स्वामिनी हैं। राधा रानी स्वयं भगवान की आह्लादिनी शक्ति हैं, जो नित्य प्रेम स्वरूप भगवान की सेवा में रत रहती हैं। इन्हें श्रीजी के नाम से भी जाना जाता है। ब्रज की स्वामिनी होने के कारण इन्हें ब्रजेश्वरी भी कहते हैं, बिना राधा रानी की अनुमति के ब्रज क्षेत्र में प्रवेश करना असंभव सा होता है। उन्होंने अंत में सभी लोगों से अपील की है कि आप सभी इस्कॉन के ऐसे उत्सवों में आएं और भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी के पूजन के अवसर पाएं।
माह भर चलेगी दामोदर लीला और दीपदान
इस्कॉन प्रचार केंद्र रायगढ़ के प्रभारी कमल किशोर दास प्रभु जी ने बताया कि कार्तिक माह को इस्कॉन संस्था दामोदर माह के रूप में मनाती है। पूरे माह संस्था के सदस्य आमंत्रित किए जाने पर घर-घर जाकर दीपदान करते हैं और भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हैं। जो श्रद्धालु इस्कॉन के सदस्यों को अपने घर बुलाते हैं वे सभी उनके घर जाकर भगवान श्री दामोदर अर्थात श्री कृष्ण को कम से कम 51 दिए चढ़ाकर महाप्रसाद चढ़ाते हैं। इस दौरान हरिनाम संकीर्तन और दामोदर अष्टकम गीत गाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के बारे में भक्तों को बताया जाता है।
क्या है इस्कॉन
इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) प्रचार केंद्र हरे कृष्ण आंदोलन के तहत एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो भक्ति योग और कृष्ण भावनामृत को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। राजा महल के सामने पल्लवी महल में बीते 3 साल से केंद्र खुला हुआ है जहां हर दिन भक्तिमय माहौल में भजन कीर्तन और नाम संकीर्तन के आयोजन होते हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। केंद्र में नियमित रूप से प्रवचन और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भगवद गीता और अन्य वैदिक ग्रंथों की शिक्षाओं पर चर्चा की जाती है। इस्कॉन प्रचार केंद्र में प्रसाद और साहित्य का वितरण किया जाता है, जिससे लोगों को कृष्ण भावनामृत के बारे में जानने का अवसर मिलता है।
