रायगढ़. रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के ग्राम औरदा में एक किशोरी द्वारा आत्मदाह किए जाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। पुसौर पुलिस ने इस मामले में गांव के एक किशोर को किशोरी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था, जो बाद में जमानत पर रिहा हो गया और अब मामला हत्या का होनें जा रहा है कि चूंकि एक चश्मदीद ने इसे किशोरी को जलाकर मारने की गवाही दे दी है। उसने किशोरी की हत्या का सबूत होने की बात कहते हुए डीजीपी से मामले की शिकायत की है।
एक जानकारी के अनुसार बीते 13 दिसंबर की रात नाबालिग जलने से मौत हो गई थी। पुसौर पुलिस ने नाबालिग की मौत के बाद मामले की जांच की और इसे आत्महत्या बताया और कुछ दिनों बाद इस घटना में शामिल एक अपचारी बालक को जेल भेज दिया। जो अभी जमानत पर रिहा हो चुका है। मामले को पुलिस आत्महत्या मानकर ही चल रही थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही एक चश्मदीद गवाह ने आईजी, डीजीपी और एसपी के नाम पत्र भेजकर नाबालिग को जलाते हुए देखने की बात कही। एसपी के आदेश पर दोबारा जांच शुरू हुई। बुधवार को मृत किशोरी के पिता और खुद को चश्मदीद बताने वाले राजकुमार साव रायपुर डीजीपी से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। पुलिस दोबारा उलझन में है कि जिस मामले को उसने आत्महत्या मान बंद कर दिया था। मामले में ही चश्मदीद सामने आ गया। इस मामले में प्रारंभिक जांच से ही पुसौर पुलिस के जांच अधिकारी ने आरोपियों को बचाने के लिए कई साक्ष्यों को भी अपने ही ढंग से पेश किया था, लेकिन अब चश्मदीद के सामने आने से लीपापोती की कलई खुल गई है।
चश्मदीद ने सीडब्ल्यूसी में दिया है शपथ पत्र
राजकुमार साव सीडब्ल्यूसी को दिए गए एक शपथ पत्र में बताया है कि 13 दिसंबर की शाम मैं गांव के बाहर शौच के लिए गया था। लौटते हुए मैंने एक लड़की पर कुछ लोगों द्वारा तेल छिड़कते हुए और फिर आरोपी (पकड़ा गया नाबालिग) को आग लगाते हुए देखा। मैं दौड़कर वहां गया तो लड़की दर्द से तड़प रही थी, मैं घटना से डर गया था। इसलिए अब तक सामने नहीं आया था। मैंने शपथ पत्र में गवाही देने की बात लिख पुलिस के आला अफसरों को पत्र भेजा है।
पुलिस अब दर्ज कर सकती है 302 का मामला
वरिष्ठ अधिवक्ता तथागत श्रीवास्तव के अनुसार ऐसे किसी भी मामले में आई विटनेस के सामने आने के बाद पुलिस को धाराएं बदलनी पड़ेंगी। पुलिस ने चालान पेश नहीं किया है। वह बयान दर्ज कर मामले में 302 के तहत मामला दर्ज कर सकती है। चालान यदि न्यायालय में जमा कर दिया गया है तो इसमें पूरक चालान पेश किया जा सकता है। जांच के बाद पुलिस धाराएं जोड़ चालान पेश कर सकती है। जिसके आधार पर आरोपी को सजा होगी।