कोरबा। इन दिनों कोरबा शहर व उप नगरीय क्षेत्रों के श्वानों के पार्वो वायरस की चपेट में आने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। इस बीमारी से खासकर बिना टीकाकरण वाले आवारा श्वानों और उनमें भी छोटे बच्चों में यह वायरस गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत भी हो रही। अब तक इस बीमारी के 45 से अधिक मामले आ चुके हैं। पशु चिकित्सकों के अनुसार यह कोई नई बीमारी नहीं, लेकिन मौसम इसके लिए संभवत: अनुकूल है, जिसके कारण इस बार वायरस के प्रकोप में ज्यादा तेज दिखाई दे रही है। अच्छी बात यह है कि इस बीमारी का मानवों पर कोई असर नहीं।
मौसम बदलने से सिर्फ मानव ही नहीं पालतू पशुओं की तबियत भी बिगड़ने लगी है। सबसे ज्यादा असर छोटे पालतू जानवरों पर पड़ रहा है। पशु चिकित्सकों की मानें तो फरवरी से मार्च के बीच मौसम बदलने से श्वानों के लिए सबसे घातक पार्वो वायरस सक्रिय हो जाता है। जिनका टीकाकरण हो चुका है, वे तो बीमारी से बच जाते हैं, लेकिन जिनमें टीकाकरण नहीं कराया गया है, उनमें यह वायरस जल्दी अटैक करता है। पार्वो वायरस श्वनों की आंत में अवरोध पैदा करता है। इससे आंतों में संक्रमण हो जाता है। जिस कारण श्वान को खूनी उल्टी-दस्त होने लगते हैं। पशु चिकित्सकों की मानें तो श्वानों के छोटे बच्चों के लिए तो यह वायरस इतना घातक है कि उनकी मौत तक हो जाती है। प्रतिदिन बीमार श्वानों की संख्या बढ़ रही है। टीका लगवा चुके पालतू श्वानों के लिए उपचार से स्वास्थ्य में सुधार भी दर्ज किया जा रहा, पर बिना टीकाकरण वाले आवारा या घरेलू श्वानों का जीवन संकट में पड़ रहा। इसलिए लोगों को समय पर अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण जरूर करवाने कहा जा रहा है।
नई बीमारी नहीं पर ठंड तेज कर रहा असर
दर्री व जमनीपाली क्षेत्र से ही अब तक दो दर्जन केस आ चुके हैं। श्वान के छोटे बच्चे संक्रमण के अधिक शिकार हो रहे हैं। पशु चिकित्सकों का कहना है कि पार्वो वायरस कोई नया संक्रमण नहीं, पहले भी होता रहा है पर इस बार इस बीमारी का प्रकोप कुछ ज्यादा नजर आ रहा। यह विशेषकर सड़क पर आवारा घूमने वाले श्वानों को ज्यादा चपेट में लेता है, जिनका टीकाकरण आम तौर पर नहीं होता। घर पर रखे गए पालतू श्वान, जिनका टीकाकरण कराया गया है, वे सुरक्षित हैं पर उनमें भी जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया है, वे इसकी चपेट में आ रहे। ठंड का मौसम वायरस के पनपने या बढ़ने के लिए हमेशा से अनुकूल रहा है।
मल्टीवायरल टीका जरुरी, शासन से सुविधा उपलब्ध नहीं
श्वानों में प्रमुख रूप से दो तरह का टीकाकरण है, जिनमें रेबीज के बारे में सब जानते हैं, जो श्वानों के साथ मानवों को बचाने के लिए भी जरूरी है। दूसरी ओर पार्वो, कैनाइन डिस्टेंपर, टेप्टोस्फायरा जैसे कुछ संक्रमण ऐसे हैं, जो केवल श्वानों को संक्रमित करते हैं। इसका मल्टीवायरल टीकाकरण अलग से होता है, जिसके लिए शासन की ओर से नि:शुल्क टीके की सुविधा का प्रावधान नहीं है। यह करीब आठ सौ का होता है।
मुख्य रूप से गैस्ट्रोइंट्राइटिस संक्रमण
वर्तमान में पार्वो वायरस का संक्रमण केवल कोरबा ही नहीं, अनेक शहरों में देखे जा रहे हैं। पार्वो इंफेक्शन मुख्य रूप से गैस्ट्रोइंट्राइटिस है। इस बीमारी में श्वानों में खाने की नली से लेकर गुदा द्वार तक सूजन आ जाती है। उसका म्यूकस मेमोरीन छिल जाता है और इसकी वजह से पेट में खून निकलता है। वह उल्टी व दस्त के जरिए बाहर निकलता है। श्वान खाना-पीना बंद कर देते हैं। पानी पिलाने पर वह भी उल्टी हो जाएगी, खाना छोड़ देते हैं और इसलिए यह जानलेवा हो जाता है।