जबलपुर । कोरोना काल के दौरान यात्री ट्रेनों का संचालन कम है, जिसका बुरा असर रेलवे की आय पर पड़ रहा है। यात्री न होने से किराए से होने वाली आय का ग्राफ लगातार नीचे गिरा, इसे ऊपर ले जाने के लिए रेलवे ने कई माध्यमों से अपनी आय बढ़ाई। नॉन फेयर रेवेन्यू (एनएफआर) से लेकर कबाड़ तक से रेलवे ने करोड़ों कमाए। पश्चिम मध्य रेलवे ने ही कोरोना काल के दौरान कबाड़ बेचाकर 178.64 करोड़ रुपये कमाए। खास बात रही कि पमरे ने कबाड़ से इतनी कमाई की कि उसने न सिर्फ लक्ष्य पूरा किया बल्कि कोरोना काल के दौरान अपनी गिरती आय के ग्राफ को भी संभाल लिया।
175 करोड़ का था लक्ष्य: कोरोना काल के दौरान रेलवे बोर्ड ने पमरे को 175 करोड़ रुपये कबाड़ से कमाने का लक्ष्य दिया। इस को पूरा करने के लिए पमरे ने जबलपुर, भोपाल और कोटा रेल मंडल के मुख्य सामग्री प्रबंधक, मुख्य कारखाना प्रबंधक, मुख्य रेल पथ अभियंता, मुख्य चल शक्ति अभियंता, मुख्य विद्युत लोको अभियंता और वित्तीय सलाहकार से लेकर मुख्य लेखाधिकारी की पमरे जीएम ने लगातार बैठक कर कबाड़ को एकत्रित करने, उनकी सूची बनाने और उसे बेचने को लेकर समीक्षा की। इस वजह से पमरे ने कोरोना काल के दौरान भी कबाड़ से लगभग 178.64 करोड़ रुपये कमाए।
पटरियों के कबाड़ से कमाए 37 करोड़ रुपये: पमरे जोन की सीमा में आने वाले जबलपुर, भोपाल और कोटा रेल मंडल के अंतर्गत कार्यालय, ट्रैक और कारखानों के कबाड़ की समीक्षा करने पर पाया गया कि सबसे ज्यादा कबाड़ रेलवे ट्रैक के पास पड़ी अनुपयोगी पटरियां हैं। इसके साथ ही कोच, इंजन, वैगन, रेल मटेरियल का भी कबाड़ है। इसे बेचना शुरू किया तो सबसे ज्यादा पमरे को पटरियों से आय हुई। इस साल उसने पटरियों से 13545 टन पटरियों का कबाड़ निकाला, जिसे बेचकर 37.18 करोड़ रुपये कमाए।
किस कबाड़ से कितनी हुई आय:
- रेल मटेरियल से 22.28 करोड
- लोहा से 52.82 करोड़
- अन्य सामान से 12.02 करोड़
- मालगाड़ी से 7.49 करोड़
- इंजन से 26.29 करोड़
पश्चिम मध्य रेलवे ने इस साल कोरोना की चुनौतियों के बावजूद कबाड़ को बेचकर 178.64 करोड़ रुपये कमाए हैं। इस साल का लक्ष्य 175 करोड़ रुपये था। राहुल जयपुरिया, सीपीआरओ, पमरे