नगर निगम बना नरक निगम, महापौर की चिट्ठी से कांग्रेसी कुनबे की सड़ांध उजागर – आलोक सिंह

by Kakajee News

रायगढ़। शहर कांग्रेस इन दिनों डेमेज कंट्रोल से जूझ रही है। आपसी खींचतान, वैमनस्यता और कमाई के अवैध स्रोत पर कब्जे की मंशा ने कांग्रेस को बदनामी के उस मुहाने पर खड़ा कर दिया है जहां से वापस लौटने के आसार फिलहाल नजर नही आ रहे है। महापौर जानकी काटजू के साफ साफ और खुले शब्दो मे नगरीय निकाय मंत्री को जो पत्र लिखा वो शहर सरकार के चाल चेहरे और चरित्र को एक बार फिर उजागर करने में सफल हुआ है। यह अलहदा विषय है कि पत्र सार्वजनिक होने के बाद जानकी काटजू ने पत्र को ही फर्जी बता दिया है मगर इस विषय पर उनका थाने में जाकर कोई अपराध दर्ज न कराना पत्र के असल होने का सबूत देता है जिसकी जिम्मेदारी लेने से फिलहाल जानकी काटजू बचना चाह रही है।
उक्ताशय की प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा नेता आलोक सिंह ने कहा है कि यह कोई पहला मामला नही है जब शहर सरकार में काबिज कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने एक दूसरे पर कीचड़ उछाला हो बल्कि ऐसा अनेको बार हो चुका है। स्वयं विधायक प्रकाश नायक यह कह चुके है कि उनकी नगर निगम में नही चलती। अब महापौर के कथित पत्र में विधायक पर एमआईसी की बैठक में खुद को शामिल किए जाने के दबाव का उल्लेख है। ऐसी ही शर्मनाक स्थिति सभापति जयंत ठेठवार और आयुक्त के बीच अमर्यादित जुबानी जंग के रूप में सार्वजनिक हो चुका है। इस मामले का जब वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो अधिकांश कांग्रेसी पार्षद सभापति से निर्लिप्त रहे और सन्देश दिया कि वो सभापति की भूमिका से खुश नही है। कांग्रेसी पार्षदो और शहर सरकार के मंत्रिमंडल के सदस्य अपनी ही सरकार से किस कदर खफा है यह उस समय भी स्प्ष्ट हुआ जब सम्बंधित एमआईसी सदस्य ने शहर सरकार के बजट को पेश करने से ही इनकार कर दिया और मजबूरन स्वयं महापौर को बजट पेश करना पड़ा। गोठान स्थल चयन को लेकर विधायक और महापौर के आमने सामने खड़े होने की घटना अखबारों की सुर्खियां बनी थी उसे कौन भूल सकता है।
आलोक सिंह ने कहा है कि यह दिलचस्प बात है कि भाजपा पार्षदो की इस शिकायत के साथ अधिकांश कांग्रेसी पार्षद भी खड़े दिखते हैं कि नगर निगम मे विकास की बातों के लिए कम और कमीशनखोरी के कामो पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। महापौर के कथित पत्र से भी इस बात की पुष्टि होती है जिसमे उन्होंने गोठान जैसे निर्माण कार्यो को लेकर आरोप लगाया है कि एमआईसी सदस्य और पार्षदो का उनके आदमियों पर ठेका देने का दबाव है। दूसरी लाइन में उन्होंने यह भी कहा है कि पार्षद ठेका ले के समय पर काम पूरा नही कर रहे है।
उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से स्प्ष्ट हो चुका है कि वर्तमान शहर सरकार और उससे जुड़े कांग्रेसियों का शहर विकास या आम जनता के हितों से कोई लेना देना नही है। कलेक्टर और आयुक्त टाट में मखमल का पैबंद लगा कर रँगाई, पुताई होर्डिंग, फ्लेक्स के सहारे शहर को सर्वसुविधायुक्त साफसुथरे शहर की पंक्ति में खड़ा करने की जद्दोजहद में लगे हुए है। जबकि अधिकांश वार्डो में पानी की किल्लत अभी से सामने आने लगी है जबकि अभी पूरी गर्मी बाकी है। सफाई कर्मचारी बार- बार हड़ताल पर जा रहे है। सड़के गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। टेक्स माफ करने का कांग्रेसी चुनावी वायदा हवा हो चुका है। विकास कार्य ठप है और नगर निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। कोई किसी की परवाह करने को तैयार नही है। काकसो ने पूरे सिस्टम पर अपना अवैध कब्जा जमा लिया है। खाया पिया कुछ नही ग्लास फोड़ा बारह आना की तर्ज पर चल रही निगम की सरकार आपसी गुत्थमगुत्था में व्यस्त है। आम जनता भौचक इस जूतम पैजार की स्थिति को देखने के लिए मजबूर है।

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