लाशों की कतार, 46 नए श्मशान घाट, 15 प्राइवेट एंबुलेंस का अधिग्रहण

by Kakajee News

रायपुर। कोरोना की वजह से मरने वालों का आंकड़ा तो बढ़ ही रहा है, साथ में सरकारी व्यवस्था भी ध्वस्त हो रही है। ऐसे में जिला प्रशासन ने लाशों की कतार को देखते हुए 46 नए श्मशान घाट बना दिए हैं। इनमें रायपुर शहर में 12 से बढ़कर अब 23 श्मशान घाट होंगे और ग्रामीण इलाकों में 35 नए श्मशान घाट बना दिए गए हैं। रविवार को शहर में 98 शव जलाए गए हैं। वहीं एंबुलेंस संचालकों की मनमानी रेट को रोकने के लिए प्रशासन ने एंबुलेंस का रेट भी तय कर दिया है।

आज से इस रेट पर एंबुलेंस चालक वसूल सकेंगे रकम
टेंपों ट्रेवलर फोर्स, टाटा विंगर 108 समतुल्य: किराया आधा दिन छह घंटे 50 किमी के लिए 1100 रुपये, किराया प्रति दिन 100 किमी दो हजार रुपये, अतिरिक्त किराया 14 रुपये प्रति किलोमीटर।
टाटा सूमो, एंबुलेंस, बोलेरो समतुल्य वाहन: किराया आधा दिन छह घंटे 50 किमी के लिए 900 रुपये, किराया प्रति दिन 100 किमी 1600 रुपये, अतिरिक्त किराया 10 रुपये प्रति किलोमीटर।
मारूति ओमनी, ईको वेगनआर समतुल्य वाहन: किराया आधा दिन छह घंटे 50 किमी के लिए 600 रुपये, किराया प्रति दिन 100 किमी 1100 हजार रुपये, अतिरिक्त किराया 8 रुपये प्रति किलोमीटर।

दिनभर भटक रहे लोग, प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों ने मचाई लूट
बता दें कि रविवार को सरकारी एंबुलेंस की कमी हो जाने से प्राइवेट एबुलेंस संचालक लोगों को लूटते रहे। प्रदेश समेत राजधानी में कोरोना वायरस खौफ के बीच कई तरह खबरें फिर से आपको सोचने को मजबूर कर देंगी। राजधानी की स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। यहां रोज संक्रमितों की संख्या में इजाफा और मौतों की संख्या के आंकड़े देखकर भयावह का माहौल बना हुआ है। स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है।

शासन-प्रशासन की व्यवस्था भी इस महामारी से निपटने के लिए दम तोड़ रही है। यहीं कारण है रविवार को कोविड से मारने वाले लोगों का अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की शासकीय एंबुलेंस कमी हो गई है। लाशें अभी की स्थिति में 90 से अधिक लंबित है। राजधानी के एम्स, आंबेडकर अस्पताल आदि जगहों पर शवों को रखने के लिए जगह नहीं बची है।
दूसरी ओर इन लाशों को मुक्तिधाम तक पहुंचाने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस (मुक्तांजलि) वाहन लूट मचाकर रखा हुआ है। दो से तीन किमी ले जाने के लिए एक लाश के पीछे पांच हजार से अधिक राशि ले रहे हैं। इस संबंध में नईदुनिया ने पड़ताल की तो चौकाने वाली बात निकलकर सामने आई है।

सूरज डूबने के बाद भी जल रहे शव
कोविड और सामान्य मौत होने की संख्या अधिक होने के कारण मुक्तिधाम में शव जलाने के लिए जगह नहीं है। मुक्तिधामों में लाशों की कतारें लगी हुई है। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि मुक्तिधाम के सेवादार सूरज डूबने के बाद शवों को जला रहे हैं। मुक्तिधामों में सिर्फ राख ही नजर आ रही है। मारवाड़ी, देवेंद्र नगर, टाटीबंध के सेवादार के मुताबिक पहली बार इस तरह की समस्या से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि लाशें अधिक होने के कारण रात में भी शव को जलाना पड़ रहा है। जबकि राजधानी में विद्युत शव गृह है, जहां एक शव को जलाने के लिए दो से अधिक घंटे का समय लग रहा है।

चार से अधिक शव को एक साथ ले रहे मुक्तिधाम
डाॅ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में शवों को रखने की जगह नहीं है। दूसरी ओर दो दिन के बाद कोविड से मौत होने वाले लोगों का शव को स्वजनों को सौंपने के लिए सुबह 11 बजे बुला रहे हैं, लेकिन एंबुलेंस के कमी के कारण उनको दोपहर दो बजे या देर शाम तक शव को सौंप रहे है। जबकि एंबुलेंस मिलते ही चार से पांच शव को एक साथ मुक्तिधाम के लिए रवाना कर रहा है।
‘अभी 90 से अधिक कोविड से मारने वाले शव लंबित है। मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, एम्बुलेंस की कमी है। इस कारण स्वजनों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए निगम प्रशासन की ओर से जल्द ही व्यवस्था की जा रही है।’

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