दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार शाम को मौसम के अचानक करवट बदलने से तेज आंधी के बाद आई बारिश ने लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत दी है। दिल्ली में शुक्रवार को बादल छाए रहने और तेज हवाएं चलने से तापमान में कुछ डिग्री की गिरावट दर्ज गई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अब से कुछ देर पहले ट्वीट कर दिल्ली, बहादुरगढ़, गुरुग्राम, मानेसर, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, लाहौर, हिंडन एएफ स्टेशन, गाजियाबाद में 30 से 50 किमी प्रति घंटे की गति के साथ हवाएं चलने और गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान जताया था।
दिल्ली में शुक्रवार को सुबह न्यूनतम तापमान 20.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और अधिकतम तापमान करीब 38 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। राजधानी में गुरुवार को अधिकतम तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जो इस मौसम में अब तक का सर्वाधिक तापमान है। न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक 21.5 डिग्री सेल्सियस रहा था। आईएमडी ने बताया कि अगले पांच छह दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहने का अनुमान है।
इस साल सामान्य रहेगा मॉनसून
मौसम विभाग ने शुक्रवार को बताया कि देश में 75 प्रतिशत से अधिक वर्षा लाने वाले दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के इस साल सामान्य रहने का अनुमान है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने बताया कि पांच प्रतिशत कम या ज्यादा की त्रुटि की गुंजाइश के साथ दीर्घावधि औसत (एलपीए) 98 प्रतिशत रहेगा।
राजीवन ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जून से सितंबर के बीच चार महीने के दौरान वर्षा के लिए पूर्वानुमान को जारी किया। उन्होंने कहा कि ओडिशा, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम में सामान्य से कम बारिश होगी लेकिन देश के शेष हिस्सों में बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक होगी। राजीवन ने कहा कि मॉनसून दीर्घावधि औसत का 98 प्रतिशत रहेगा, जो कि सामान्य वर्षा है। यह देश के लिए अच्छी खबर है और इससे कृषि क्षेत्र से अच्छे परिणाम मिलेंगे।
यह सूचना कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए भी शुभ है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को देश की अर्थव्यवस्था में अहम माना जाता है क्योंकि अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर बहुत हद तक निर्भर करती है। देश का बड़ा हिस्सा कृषि और जलाशयों के भरने के लिए चार महीने तक चलने वाले मॉनसून के मौसम पर निर्भर करता है। बरसात के बीते दो मौसम में देश में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।
राजीवन ने कहा कि आईएमडी अगले चार महीनों के दौरान माह-वार के पूर्वानुमान भी जारी करेगा। आईएमडी के चार प्रभागों उत्तर-पश्चिम भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के लिए भी पूर्वानुमान जारी किया जाएगा। ला नीना और अल नीनो कारक भारतीय मॉनसून पर प्रमुख प्रभाव डालते हैं।
राजीवन ने कहा कि अल नीनो के बनने की संभावना कम है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, ला नीना के बाद के वर्ष में आमतौर पर सामान्य वर्षा का मौसम देखा गया है। मौसम संबंधी पूर्वानुमान व्यक्त करने वाली निजी एजेंसी ‘स्काइमेट वेदर ने हाल में कहा था इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा।
हालांकि, एजेंसी ने कहा था कि जून से सितंबर के दौरान वर्षा का दीर्घावधि औसत (एलपीए) 103 प्रतिशत रहेगा। दीर्घावधि औसत के हिसाब से 96-104 प्रतिशत के बीच मॉनसून को सामान्य माना जाता है।