कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए पॉजिटिव काट रहे अस्पतालों के चक्कर,जानिए क्या हैं पोस्ट कोविड दिक्कतें

by Kakajee News

दूसरी लहर में कोरोना से उबरे मरीजों को बहुत सारी समस्याएं लंबे समय तक परेशान कर रही हैं। दून अस्पताल की ओपीडी खुले छह दिन हो गए हैं। यहां पर रोजाना अब 400 से ऊपर मरीज आने लगे हैं। उनमें करीब 20 फीसदी मरीज ऐसे है, जो कोरोना को मात दे चुके हैं। 15 दिन से एक माह बाद तक भी सांस फूलने, कमजोरी, कमर-पिंडलियों में दर्द की शिकायत बता रहे हैं। दून अस्पताल के एमएस डा. केसी पंत के मुताबिक मेडिसिन, ईएनटी, नेत्र रोग विभाग, ह्दय रोग, ऑर्थो, स्किन, मानसिक रोग विभाग आदि विभागों में ऐसे मरीज आ रहे हैं। कई लोगों को दोबारा बुखार, घबराहट, बेचैनी, सांस फूलने, बेहद कमजोरी जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। मरीजों का ऑक्सीजन लेवल, बीपी एवं ईसीजी आदि कराकर देखा जा रहा है। कई के पैरामीटर बदले दिखाई देते हैं, तो उन्हें भर्ती होने की सलाह दी जाती है। कई का दवाई से काम चल जाता है। बाल झड़ने समेत अन्य कई तरह की दिक्कतें लेकर भी मरीज आ रहे हैं।

पोस्ट कोविड मरीज ऐसे रखें ख्याल
वरिष्ठ फिजीशियन डा. अरुण पांडेय और डा. अंकुर पांडेय कहते हैं कि कोरोना से उबरे लोग पुराने मास्क का प्रयोग न करें, नमी की वजह से इसमें फंगस लग सकती है। पानी टपकने से नम दीवार से दूर रहें। नम तौलिया, कपड़े आदि का प्रयोग न करें। अपना शुगर कंट्रोल रखें। शुगर अनकंट्रोल होने की वजह से कई दिक्कतें पेश आ रही हैं। खुद से स्टेराइड कतई न लें। खाने में प्रोटीन डाइट हरी सब्जी फल आदि शामिल करें। इसके अलावा अपना बीपी एवं तापमान भी समय समय पर चेक कराते रहें। जरा कुछ भी लक्षण दिखाई दे तो डाक्टर को दिखाएं। खुद से कोई भी दवा न लें।

फ्लू ओपीडी में रोजाना 100 से ऊपर मरीज:
अस्पताल में चल रही फ्लू ओपीडी में रोजाना 100 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। कोरोना के नोडल अफसर डा. अनुराग अग्रवाल के मुताबिक ज्यादातर मरीजों में बुखार, जुकाम, लंबे समय से खांसी एवं छाती में दर्द की शिकायत देखी जा रही है। करीब 20 फीसदी मरीज कोरोना को मात देने वाले हैं।

दूसरी लहर में ज्यादा मानसिक परेशानी:
मानसिक रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. जया नवानी कहती हैं कि लोगों को पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में ज्यादा मानसिक परेशानियों से लोगों को जूझना पड़ा। अभी अस्पताल में कम मरीज आ रहे हैं, लेकिन फोन पर डिप्रेशन, फोबिया, नींद न आना, एन्जाइटी बता रहे हैं। पीटीएसडी यानि पोस्ट प्रोमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लिए विभाग में अलग से व्यवस्था की गई है। यह किसी भी बड़ी घटना के बाद होता है। पहले से जिनकी दवाई छूटी थी, ऐसे मरीज भी आ रहे हैं।

बरसात में नमी से दूर रहें कोरोना से उबरे मरीज:
मानसून ने उत्तराखंड में दस्तक दे दी है। ऐसे में वातावरण में नमी 70 से 80 फीसदी हो गई है। बारिश से घरों की दीवारों में पानी रिसने से नमी आती है, जिससे फंगस पनपने की की आशंका बढ़ जाती है। दून अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डा. विकास सिकरवार कहते हैं कि कोरोना को मात देने वाले मरीजों को इस वक्त खास एहतियात बरतने की जरूरत हैं। नमी वाली जगहों से उन्हें दूरी बनाकर रखनी होगी। वहीं गीले कपड़ों का प्रयोग कतई न करें, सूखे तौलिये का ही प्रयोग करें। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के ईएनटी विभाग की एचओडी डा. तृप्ति ममगाईं कहती हैं कि स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों, हाई ब्लड शुगर एवं कम इम्युनिटी वाले मरीजों को ज्यादा एहतियात की जरूरत हैं। ऐसे लोगों को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। सेहतमंद, अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति को फंगस का खतरा बहुत कम रहता है।

अस्पताल में बढ़ने लगे मरीज
दून अस्पताल में पंजीकरण प्रभारी विनोद नैनवाल ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। जहां शुरुआत में 150 से 200 मरीज पहुंचे। सोमवार को 443 एवं मंगलवार को 423 मरीज पहुंचे। सबसे ज्यादा फ्लू ओपीडी में 120 और मेडिसिन ओपीडी में 52 मरीज पहुंचे। नई ओपीडी बिल्डिंग की पीआरओ सुधा कुकरेती ने बताया की मरीजों को खून की जांचों, एक्सरे-अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

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