रामपुर में प्रखंड मुख्यालय पर खेतो में डूबे फसल को बचाने व पानी निकासी को लेकर दिया धरना

by Kakajee News

#किसानों ने कहा अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ भुखमरी की आ जायेगी नौबत

#प्रखंड प्रशासन समस्या का समाधान नहीं किया जिला में वरीय पदाधिकारियों को लगाएंगे गुहार

रामपुर/कैमूर। गुरुवार को खरेंदा व सिंझपुरा गांव के बधार में जलमग्न हुए फसल को बचाने व पानी निकासी कराने की मांगों को लेकर रामपुर प्रखंड मुख्यालय गेट पर किसानों धरना दिया गया। धरने दे रहे किसानों का कहना था कि खरेंदा व सिंझपुरा गांव के दर्जनों किसानों का बारिश के पानी व नहर का पानी आने से 200 एकड़ में रोपी गयी धान की फसल डूब गयी है। इसका कारण खरेंदा के कुछ किसानों द्वारा पानी निकासी वाले नाले व बाहा को दखल कर बंद कर दिया है। जिससे किसानों का खेत जलमग्न होकर फसल डूब गया है।

जिसके कारण किसान के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही है और काफी परेशान है। अगर उस पानी को सड़क के तीन बीमा,नाले को खोल दिया जाए तो खेतों में लगा पानी मिंव, सुखारीपुर दूसरे गांवो में चला जायेगा। जिसके कारण उधर किसानों को पानी की समस्या नहीं होगी और इधर किसानों का भी समस्या का समाधान हो जायेगा। लेकिन जिन किसानों ने अतिक्रमण कर नाले को बंद कर दिया है। वह सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए किया गया है।

इसके साथ ही किसानों का कहना है कि अगर जलमग्न खेतों से पानी निकासी समय रहते प्रखंड प्रशासन द्वारा नहीं कराया गया। उनका फसल नहीं हो पायेगा और वे भुखमरी के कगार पर पहुँच जायेंगे। इस समस्या का समाधान कराने के लिए रामपुर सीओ को आवेदन देकर गुहार लगाया गया है। इसकेे बावजूद भी कोई पहल नहीं हुआ दिख रहा है। किसानों का कहना था कि अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो आगे जिला में गुहार लगाएंगे।

बोले सीओ – वही इस संबंध में पूछे जाने पर रामपुर सीओ भरतभूषण सिंह ने बताया कि दो गांवों के बीच किसानों का मामला है। जिन किसानों का फसल डूबा हुआ है वह नीचा जमीन में आता है और खरेंदा के किसानों पर पानी रोकने कही जा रही है। स्थल का जायजा लिया गया था। लेकिन खरेंदा के किसान तैयार नहीं हो रहे पानी निकासी के लिए क्योंकि उनका कहना है कि फसल डूब जायेगा। वही खरेंदा व सिंझपुरा गांव के किसानों का फसल डूबा हुआ है। आगामी गर्मी के दिनों में मनरेगा से बगल से बाहा खुदाई करा कर समस्या का समाधान कराया जाएगा। किसान अपने में समझौता कर लें तो समास्या का समाधान करा दिया जाएगा। लेकिन दोनों पक्षों के किसान अपनी बातों को लेकर अड़े हुए है।

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