कहने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस में ‘ऑल इज वेल’ है। लेकिन असलियत में यह सिर्फ ऊपरी तौर नजर आने वाला भ्रम है। अंदरूनी हकीकत कहीं ज्यादा तल्ख है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव के सत्ता संघर्ष में फिलहाल तो शांति है। लेकिन इसे यहां पर उठने वाले सियासी तूफान से पहले की शांति भी कह सकते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस शासित पंजाब में हाल में नेतृत्व परिवर्तन के कारण अनिश्चितता और बढ़ गई है। बिलासपुर में कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने गुरुवार को एक स्थानीय नेता के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज होने के विरोध में प्रदर्शन करने के कारण पार्टी के एक विधायक को निष्कासित करने की मांग की। जिस नेता के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, वह सिंहदेव का समर्थक है।
बघेल कर चुके हैं शक्ति प्रदर्शन
असल में यहां नेतृत्व परिवर्तन की मांग तब जोर पकड़ने लगी जब बघेल ने जून 2021 में मुख्यमंत्री के तौर पर ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। सिंहदेव धड़े का दावा था कि आलाकमान ने 2018 में सरकार का कार्यकाल आधा पूरा होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति जताई थी। हालांकि राज्य में कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया कई बार इन दावों से इंकार कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने जुलाई में आरोप लगाए कि सिंहदेव से उनकी जान को खतरा है। बाद में उन्होंने अपना दावा वापस ले लिया। कांग्रेस आलाकमान ने कलह को शांत करने के लिए अगस्त में बघेल और सिंहदेव को दिल्ली बुलाया था। वहां से लौटने पर बघेल ने कहा कि पार्टी के नेता राहुल गांधी ‘उनके निमंत्रण पर’ राज्य का दौरा करने पर सहमत हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि जो लोग मुख्यमंत्री पद पर बदलाव चाहते हैं वे राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दे रहे हैं। बघेल जब राष्ट्रीय राजधानी के दौरे पर थे तो कांग्रेस के 70 में से 54 विधायकों ने अलग से दिल्ली का दौरा किया था, जो एक तरह से बघेल का शक्ति प्रदर्शन था।
वरिष्ठ नेताओं में संघर्ष, कार्यकर्ताओं में टकराव
बिलासपुर पुलिस ने मंगलवार को राज्य कांग्रेस के पूर्व सचिव पंकज सिंह के खिलाफ एक सरकारी अस्पताल के कर्मचारी के साथ कथित मारपीट को लेकर मामला दर्ज किया। अगले दिन सिंहदेव के समर्थक और कांग्रेस विधायक शैलेश पांडेय अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंचे और कार्रवाई का विरोध किया। किसी का नाम लिए बगैर पांडेय ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर कार्रवाई हुई है। बिलासपुर जिले में पार्टी की स्थानीय इकाई ने गुरुवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों को शह देने के लिए पांडेय को निष्कासित करने की मांग की। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आर. कृष्ण दास ने कहा कि पार्टी आलाकमान जब तक नेतृत्व के मुद्दे को नहीं सुलझाता है तब तक दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच संघर्ष की कीमत कार्यकर्ता चुकाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब में हाल में नेतृत्व परिवर्तन ने राज्य के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अनिश्चितता की भावना पैदा की है।