रायगढ़. ब्याज में दोगुना पैसा लेने के बाद भी हस्ताक्षरयुक्त चेक व स्टांप पेपर वापस नही करने से परेशान एक आदिवासी महिला ने सुदखोर महिला के खिलाफ अनुसूचित जाति कल्याण रायगढ़ थाने में एक लिखित शिकायत करते हुए इंसाफ की गुहार लगाई है। कोतरा रोड़ रामबाग के पीछे रहने वाली जानकी सिदार ने अपने लिखित आवेदन में अनुसचित जाति कल्याण थाने के प्रभारी को अपनी शिकायत में लिखा है कि वह एक आदिवासी महिला है और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संबलपुरी में बतौर शासकीय कर्मचारी काम कर रही हैं।
घर में पैसे की आवश्यकता पड़ने पर उसने अपनी सहेली अनिता सारथी के बताए अनुसार काजल सलूजा से परिचय कराने के बाद बतौर ब्याज 50 हजार रूपए की रकम ली थी और इस 50 हजार रकम के बदले काजल सलूजा ने हस्ताक्षर किये बगैर चेक व एक स्टांप भी लिया। बातचीत के दौरान काजल सलूजा ने पीड़ित जानकी सिदार को यह कहा था कि वह लायसेंस के माध्यम से ब्याज का व्यापार करती है और 20 प्रतिशत के हिसाब से उसे ली गई रकम वापस करनी पड़ेगी।
आदिवासी महिला ने बताया कि इस पूरे ब्याज के व्यापार में काजल सलूजा ने सलूजा टायपिंग से स्टांप खरीदने के बाद लिखा पढ़ी करवाई और 50 हजार के बदले प्रतिमाह 10 हजार रूपए ब्याज की शर्त उसमें लिखी गई इतनी छोटी राशि का 20 प्रतिशत ब्याज जानकी सिदार पर भारी पड़ रहा था। तब उसने बैंक से लोन लेकर काजल सलूजा को पैसे वापस करना शुरू किये। जिसका पूरा विवरण बैंक में है। तीन माह बाद 50 हजार का ब्याज 30 हजार रूपए होनें के बाद भी काजल सलूजा ने 36 हजार रूपए की वसूली की और पूरी वसूली होनें के बाद भी आज तक उसने न तो स्टांप पेपर वापस किया है और न ही सिगनेचर किये हुए चेक।
इस पूरी से आहत जानकी सिदार ने अजाक थाने में शिकायत करते हुए यह गुहार लगाई है कि बिना लायसेंस का ब्याज का व्यवसायी करने वाली काजल सलूजा उसके स्टांप पर कुछ भी राशि लिखकर फंसा दूंगी कहकर धमका रही है जिसके चलते वह बीमार पड़ गई है और उसे यह डर है कि उस स्टांप के चलते उसकी सरकार नौकरी कहीं खतरे में न पड़ जाए। इसलिए पूरी मामले की जांच करते हुए ब्याज का व्यवसाय चलाने वाली काजल सलूजा के उपर कार्रवाई करते हुए सिगनेचर किये हुए चेक और स्टांप वापस करवाने की पहल हो जिससे उसे न्याय मिल सके। बहरहाल इस शिकायत के बाद अजाक थाने में अपने स्तर पर जांच भी शुरू कर दी गई है।