एसईसीएल की खदानों के सामने ग्रामीणों का धरना, कोयला परिवहन हुआ प्रभावित, तीन दिनों में हो गया करोड़ा का नुकसान, एरिया मैनेजर की मनमानी से बरौद में हुआ बवाल

by Kakajee News

रायगढ़. रायगढ़ जिले के छाल एवं बरौद में एसईसीएल अधिकारियों की मनमानी के चलते नाराज ग्रामीण सडक़ पर उतर आए हैं। एक ओर जहां छाल में भूमि-विस्थापित नौकरी की मांग को लेकर तीन दिन से छाल खदान के बाहर हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वहीं बरौद औरामुड़ा में भी वहां के एरिया मैनेजर ने ग्रामीणों का घर बिना किसी जानकारी के तोड़वा दिए जाने से महिलाओं सहित ग्रामवासी सडक़ पर बैठ गए हैं जिससे वहां का भी कोयला परिवहन खासा प्रभावित हुआ है। भू-विस्थापित छाल के प्रभावितों ने खदान में काम रुकवा दिया है। काम प्रभावित होने के कारण तीन दिनों में साढ़े चार करोड़ का उत्पादन और डिस्पैच प्रभावित हुआ है। छाल ओपन कास्ट कोल माइंस में प्रभावित हुए किसान 3 जनवरी से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। दरअसल प्रबंधन 7 साल बाद भी प्रभावितों को नौकरी नहीं दे पाया है। एसईसीएल ने प्रभावितों को नौकरी देने की घोषणा की थी। 17 दिसंबर को एसईसीएल बिलासपुर की ओर से भू प्रभावितों को नौकरी देने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। 137 लोगों के आवेदन को स्वीकार करके 46 लोगों को नौकरी देने के लिए सूची जारी की गई। नोटिफिकेशन में 15 दिनों के भीतर इस संबंध में आदेश जारी किए जाने की बात लिखी थी। 15 दिनों के बाद भी कोई सूचना नहीं आई। इस पर गुस्साए ग्रामीणों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया। मंगलवार को सब एरिया मैनेजर ग्रामीणों से बात करने आए। उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहित की गई है लेकिन इस्तेमाल अभी भी किसान ही कर रहे हैं। जबकि किसानों का कहना है कि जमीन एसईसीएल द्वारा अधिग्रहण के बाद उसका उपयोग नहीं हो रहा है। यदि धान की खेती कर भी लें तो वे उसे बेचेंगे कहां।
किसानों की पूरी जमीन कोयला खदान में जाने के बाद भी नही मिली नौकरी
प्रह्लाद पटेल निवासी बंधापाली की 1 एकड़ 4 डिसमिल जमीन एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित की गई। परिवार में 11 सदस्य हैं। एक सदस्य को ही नौकरी मिलेगी। उसके बावजूद सात सालों से वे नौकरी की आस में ही बैठे हैं। परिवार अपना गुजर बसर भी मुश्किल से कर पा रहा है।
हरिप्रसाद पटेल निवासी बंधापाली की 72 डिसमिल जमीन एसईसीएल में गई है। अब इनके पास रोजी-रोटी के लिए दूसरा कोई साधन नहीं है। परिवार के भरण पोषण के लिए वे हर दिन भटकते हैं। जमीन के बदले नौकरी ही परिवार के लिए आखिरी उम्मीद है।
मालिक राम की 1.33 एकड़ जमीन पूरी खुली खदान के लिए चली गई। परिवार के अनुसार वे खेती पर ही निर्भर थे। नौकरी नहीं मिलने से उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी हैं। क्योंकि ना तो उनके पास जमीन है और ना ही नौकरी। ऐसी स्थिति में वे अपने परिवार का गुजर-बसर भी मजदूरी से कर पा रहे हैं।
छाल के अलावा आसपास के 6 गांव की 362 हेक्टेयर जमीन की गई अधिग्रहित
एसईसीएल छाल खुली खदान परियोजना के लिए सात साल पहले 2013 में 6 गांव, चंद्रशेखरपुर, खेदापाली, छाल, नवापारा, बांधापाली, पुसलदा के 700 से अधिक ग्रामीणों की 362 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई थी। जमीन अधिग्रहण के बाद किसानों को मुआवजा दिया गया और प्रभावित परिवार से 415 लोगों को नौकरी देने की घोषणा की गई। लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी प्रबंधन एक व्यक्ति को भी नौकरी नहीं दे पाया है। जबकि 90 प्रतिशत परिवार कृषि पर ही निर्भर थे।
बरौद में भी बढ़ रहा है आक्रोश
छाल के साथ-साथ एसईसीएल की बरौद कालरी में भी वहां के एरिया मैनेजर ने बिना किसी प्रशासनिक सहयोग से औरामुड़ा के चार से पांच घर देखते ही देखते बुलडोजर से ढहा दिए। जिससे आधा दर्जन परिवार कडकडाती ठंड में सडक़ पर आ गया है। एसईसीएल अधिकारी की इस मनमानी का विरोध जब वहां की महिलाएं व अन्य लोग कर रहे थे तो एसईसीएल के अधिकारियों ने प्रशासनिक धौंस दिखाते हुए औरतों को गाली गलौज करते हुए भगा दिया और उन्हें पुलिस कार्रवाई का डर दिखाते हुए यहां तक कह दिया कि उन्हें यह अधिकार है कि वे इस क्षेत्र में बने घरों को ढहा सकते हैं। पीडि़त महिलाओं का यह आरोप था कि एरिया मैनेजर लगातार उन्हें पहले से ही धमकी देते आ रहा था कि वो घरों को तुडवा देगा। जबकि घरघोड़ा तहसील तथा जिले के अधिकारियों ने औरामुड़ा में बने ग्रामीणों के घरों को मुआवजा के बाद पुर्न विस्थापित करने की बात कही थी। पर एसईसीएल के अधिकारियों ने बिना किसी नोटिस व सूचना के आधा दर्जन घरों को देखते ही देखते जमींदोज कर दिया है जिससे नाराज ग्रामीणों ने वहां की सडक़ जाम करके कोयला परिवहन ठप्प कर दिया है। यहां का भी कोयला परिवहन ठप्प होनें से बीते 24 घंटे के भीतर 2 करोड़ से भी अधिक का नुकसान एसईसीएल को हो चुका है।

Related Posts

Leave a Comment