तराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के कारण देश में भी पेट्रोल व डीजल की कीमत लगातार आसमान छू रही है। हालांकि आप जो कीमत पेट्रोल पंप पर देते हैं, उस भाव में भारी मात्रा में टैक्स भी शामिल होता है, इसी कारण देश में तेल की कीमतें भी बढ़ जाती है। गौरतलब है कि देश में टैक्स व्यवस्था के लिए अब जीएसटी व्यवस्था लागू हो चुकी है, लेकिन फिलहाल पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर जीएसटी टैक्स व्यवस्था लागू नहीं है। पेट्रोल और डीजल माल व सेवा कर अधिनियम के दायरे में फिलहाल नहीं आते हैं। यही कारण है कि जीएसटी के दायरे में नहीं आने के कारण पेट्रोल व डीजल पर केंद्र व राज्य सरकार अपने-अपने नियमों के हिसाब से टैक्स लगाकर खजाना भरने का प्रयास करती है। यही कारण है तेल की कीमतें और ज्यादा महंगी हो जाती है।
80 फीसदी तेल आयात करता है भारत
भारत में जितने भी पेट्रोल व डीजल की खपत होती है, उसकी 85 फीसदी आयात किया जाता है। देश में मौजूद तेल रिफायनरियों में फिर इस कच्चे तेल को रिफाइन किया जाता है। इस कारण से भी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है।
ऐसे समझे तेल की कीमत का गणित
इंडियन ऑयल के मुताबिक, 1 जनवरी को दिल्ली में पेट्रोल का आधार मूल्य 27.37 रुपए था, जबकि बाजार में पेट्रोल पंप पर 83.71 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा था। इसमें से 56.34 रुपए का जो अंतर दिखाई दे रहा है, वह अंतर राज्य व केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग टैक्स लगाकर वसूला जा रहा है। पेट्रोल डीजल की बेस प्राइज पर वैट, एक्साइस शुल्क और डीलर कमीशन जुड़ जाने के बाद रिटेल प्राइस कई गुना बढ़ जाती है।
एक लीटर पेट्रोल पर वसूली
1 लीटर पेट्रोल पर उपभोक्ता को भाड़ा और अन्य खर्च 0.37 पैसे, एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपए, डीलर कमीशन (औसत) 3.67 रुपए, वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित) 19.32 रुपए देना होता है। गौरतलब है कि इसमें वैट टैक्स राज्यों द्वारा लगाया जाता है। यह हर राज्य में अलग अलग होता है।