दलालों के चंगुल में फंसकर जीवनभर की कमाई गंवा दी, सैकड़ों परिवारों की आंखों में दिखा घर टूटने का दर्द

by Kakajee News

दलालों के चंगुल में फंसकर सैकड़ों परिवारों ने जीवनभर की कमाई और घर दोनों गंवा दिए। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने जनवरी में किले की जमीन पर बसी बंगाली बस्ती (छुरिया मोहल्ला) की 1248 पक्के ढांचे वाली झुग्गियों पर खाली करने का नोटिस चिपकाया था। इसके बाद कई परिवार घर खाली कर चले गए थे, जबकि भारी संख्या में लोगों ने बुलडोजर और पुलिस बल देखकर सामान समेटना शुरू किया।

 

प्रशासन ने इन लोगों को घर खाली करने का समय दिया। आननफानन में लोग जरूरी सामान निकालकर ले जा पाए। कई परिवार आखिरी वक्त तक घर नहीं खाली करने पर अड़े रहे, उन्हें पुलिस बलों ने समझाकर किसी तरह जगह खाली करवाई। कई महिलाएं घर से निकलने के लिए तैयार नहीं थीं, महिला पुलिस ने इन्हें हटाया। एक सिरे से झुग्गियां को तोड़ने की कार्रवाई लगातार शाम तक चलती रही। भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के अलावा आरएएफ की कई कंपनियां मौके पर तैनात की गई थीं। फायर ब्रिगेड व एंबुलेंस सेवा भी तैनात की गई थी।

पांच दलालों ने मिलकर फंसाया
घर टूटने का दर्द सैकड़ों परिवारों की आंखों में साफतौर से देखा जा सकता था। बुलडोजर घर ढहाते रहे और लोग ईंट-पत्थरों के बीच से अपना सामान निकालते रहे। लोगों ने बताया कि पुरातत्व विभाग ने जब से इनके घरों पर नोटिस चिपकाया, उनकी नींद गायब हो गई। अब कहां जाकर रहेंगे कुछ समझ में नहीं आ रहा। पांच दलालों ने उन्हें फंसाया। अधिकतर लोग पढ़े-लिखे न होने से दलालों के चंगुल में फंस गए और खून पसीने की कमाई देकर जमीन खरीद ली।

कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर कब्जे हटाने का दिया था आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान 24 अप्रैल को एएसआई की खिंचाई की थी और कहा था कि वह ऐतिहासिक तुगलकाबाद किले में अतिक्रमण के मुद्दे पर मूकदर्शक नहीं बन सकता। कोर्ट ने हर हाल में चार सप्ताह के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। एएसआई ने कोर्ट को बताया था कि उसने जनवरी में किले की जमीन पर बनीं 1248 झुग्गियों पर नोटिस चिपकाए हैं, लेकिन अन्य एजेंसियों को जैसे कि दिल्ली पुलिस, निगम, डीडीए के सहयोग के बिना अवैध निर्माण को हटाने में सक्षम नहीं है। इस पर पीठ ने दिल्ली पुलिस के साथ एमसीडी और स्थानीय एसडीएम से कहा था कि वे अतिक्रमण हटाने में एएसआई को आवश्यक सहयोग प्रदान करें। इसके बाद रविवार को ये कार्रवाई की गई।

 

सालों तक यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को 1995 में दिल्ली विकास प्राधिकरण से तुगलकाबाद किले की 2661 बीघा जमीन रखरखाव के लिए दी गई थी, लेकिन 25 सालों में तुगलकाबाद किले की करीब 1500 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा हो गया था। वर्ष 2001 में किले की जमीन को अवैध तरीके से कब्जा किए जाने की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। कई सालों तक यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा, लेकिन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और मामले को हाईकोर्ट के पास भेजकर मॉनिटरिंग करने का आदेश दिया। इस केस की सुनवाई तब से लगातार चल रही थी।

 

7-8 हजार रुपये प्रति वर्ग गज में खरीदी जमीन
लोगों ने 7-8 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट में दलालों से जमीन खरीदी। अधिकतर मजदूरी करने वाले लोगों ने किस्तों में पैसे भरे। कई अब तक पैसे भर रहे थे और इस तरह से 10-15 सालों में करीब एक किमी के दायरे में हजारों झुग्गियां बन गईं। लोगों ने बताया कि सुबह उनके मकान तोड़ने के लिए जब बुलडोजर आए तो भी दलालों ने कहा वे चिंता न करें, कुछ नहीं होगा। भड़काने की कोशिश की कि सब बुलडोजर के सामने पत्थर लेकर खड़े हो जाना पुलिस लौट जाएगी, लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल देखकर लोगों की पत्थर उठाने की हिम्मत नहीं हुई।

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