कुशनीगर के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के बहोरा रामनगर गांव के खपरधिक्का टोला में जैसे ही चार लोगों के मौत की सूचना मिली, लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। टैंक में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए गांव के एक युवक प्रमोद साहनी ने हिम्मत दिखाई। रस्सी के सहारे खुद टैंक में उतरकर उसमें फंसे लोगों को एक-एक कर बाहर निकाला।
लोगों उन्हें नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र के कोटवा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। वहां डॉक्टर ने चार को मृत घोषित कर दिया। ग्रामीणों और पुलिस की तत्परता की वजह से एक युवक की जान बचाई जा सकी। बताया जा रहा है कि इस गांव के नंदू कुशवाहा के बेटे नितेश कुशवाहा की 11 जून को शादी तय थी। परिवार के लोग शादी की तैयारी में लगे थे।
रविवार को सुबह इनके घर के शौचालय का सेप्टिक टैंक ओवरफ्लो हो गया। काफी प्रयास के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ तो उन्होंने सुबह करीब दस बजे टैंक का चैंबर खोलने का फैसला किया। अपने बड़े बेटे नितेश को बुलाया। सेप्टिक टैंक का चैंबर खोला। आसपास कचरा जमा हुआ था। चैंबर का ढक्कन खोलते ही जहरीली गैस की चपेट में आ गया और उसे सहन नहीं कर पाया।
वह चैंबर में गिर गया। वहीं मौजूद नितेश कुशवाहा पिता को बचाने के लिए टैंक में उतरा, लेकिन गैस की वजह से उसका भी दम घुटने लगा तो पड़ोस में रहने वाले पट्टीदारी के चाचा दिनेश कुशवाहा को आवाज दी। वह भी दौड़कर पहुंचा। उन्हें बचाने की कोशिश में दिनेश भी टैंक में ही समा गया, लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। तब तक आनंद और पट्टीदारी के ही राजकुमार पहुंच गए।
गांव के प्रमोद ने दिखाई हिम्मत
एक के बाद एक ये लोग भी टंकी में समा गए, लेकिन वापस नहीं आए। इसके बाद घटनास्थल पर भीड़ जुट गई। सब लोग एक-दूसरे की ओर देख रहे थे, लेकिन उसके बाद किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था। भीड़ में से निकलकर गांव का ही प्रमोद साहनी पहुंचा। वह हिम्मत दिखाते हुए रस्सी के सहारे खुद टैंक में उतर गया।
पंपिंगसेट से खाली कराया टैंक
उसने अपनी जान की परवाह किए बिना एक-एक कर सभी को टैंक से बाहर निकाला। इसी दौरान लोगों ने शौचालय टैंक को साफ करने वाली सेप्टिक टैंक मशीन बुला ली। लेकिन वहां तक जाने के लिए पाइप छोटा था। फिर पंपिंगसेट से खेतों की सिंचाई करने वाला पाइप मंगाया गया और उससे टैंक को खाली कराया गया। ताकि यदि कोई और उसमें फंसा हो तो बाहर निकाल लिया जाए।
इसके बाद पुलिस के डायल 112 वाहन से पांचों को कोटवा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने नंदू कुशवाहा, उसके पुत्र नितेश कुशवाहा, पट्टीदार दिनेश कुशवाहा और आनंद को मृत घोषित कर दिया। राजकुमार की हालत गंभीर बताते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वहां मौजूद सीएमओ डॉ. सुरेश पटारिया ने तत्परता दिखाते हुए तत्काल इलाज शुरू कराया।
हादसे के बारे में जिसने जहां से सुना, वहीं से दौड़ पड़ा
उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को हिदायत दी कि इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। तत्काल उपचार शुरू हो जाने से राजकुमार की जान बच पाई। इस हादसे के बारे में जिसने जहां से सुना, वहीं से दौड़ पड़ा। इस दौरान घटनास्थल से लगायत कोटवा सीएचसी और जिला अस्पताल में अफरा-तफरी मची रही। इन स्थलों पर काफी संख्या में लोग जुटे रहे।
11 जून को थी घर में शादी
आपको बता दें कि नंदू कुशवाह के परिवार को 11 जून का बेसब्री से इंतजार था। आखिर हो भी क्यों नहीं, इस दिन घर में नई बहू जो आने वाली थी। हर कोई बरात की तैयारियों में जुटा था, लेकिन कौन जानता था… तकदीर खुशियों की छटा नहीं, बल्कि मौत का मंजर दिखाएगी।
एक साथ जलीं चार चिताएं
नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के बहोरा रामनगर गांव के खपरधिक्का टोला में सेप्टिक टैंक में मरने वाले चारों व्यक्तियों के शवों का पोस्टमार्टम कराने के बाद शाम को गंडक नदी के पनियहवा स्थित नारायणी घाट पर लाया गया। यहां सजाई गई चिताओं पर इन सभी का एक साथ अंतिम संस्कार हुआ।
नंदू कुशवाहा, नितेश कुशवाहा, दिनेश और आनंद के शवों का पोस्टमार्टम होने के बाद परिजन पनियहवा लेकर पहुंचे। यहां शाम को उनके शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान परिजनों ने जब चिताओं को मुखाग्नि दी तो मौजूद लोगों की आंखों में आंसू थे। नंदू कुमार व नितेश कुमार पिता-पुत्र थे। नंदू कुमार के बेटे तथा नितेश के भाई प्रदीप ने दोनों की चिताओं को मुखाग्नि दी। वहीं, आनंद की चिता को उनके पिता इंदल तथा दिनेश के शव को उनके बेटे धीरज ने मुखाग्नि दी।