ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान साबित होती जेएसपीएल फाउण्डेशन की शुुभांगी परियोजना, शुभांगी परियोजना महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक सामाजिक आंदोलन: शालू जिंदल

by Kakajee News

रायगढ़। भारतवर्ष गांवों का देश है यहॉ की अधिकतम आबादी गांवों में ही बसती है। गांव जो कि विभिन्न समुदायों से सुसज्जित समाज, संस्कृति एवं परम्पराओं की एक पुंज होती है। समाज इन्हीं संस्कृति एवं परम्पराओं का अनुशरण कर सदियों से गतिमान है। प्राय: परम्पराओं से आबद्ध पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को जहॉ विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा है, वहीं विभिन्न बीमारियों से भी जुझना पड़ा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य सबसे संवेदनशील समस्या के रूप में दृष्टव्य व प्रमुख है। जिसके कारण करोड़ों महिलाएॅ सम्मानजनक स्वछंद जीवन नहीं गुजार पाती एवं विभिन्न प्रजनन संक्रमणों के साथ जीवन जीने को विवश होती हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015 -16 की रिपोट के अनुसार हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 48.5 प्रतिशत महिलाएॅ ही सेनेटरी नेपकीन का उपयोग करती हैं। देश में लगभग 35 करोड़ महिलाएॅ माहवारी की उम्र में हैं, लेकिन इनमें से करोड़ो महिलाऐं इस अवधी को सुविधाजनक व सम्मानजनक तरीके से नहीं गुजार पाती हैं। देश की 66 प्रतिशत किशोरियों को प्रथम मासिक स्त्राव के पहले मासिक धर्म के बारे में जानकारी नही होती है। ॅभ्व् की एक रिपोट के अनुसार विश्व की 27 प्रतिशत महिलाऐं माहवारी के दौरान साफ सफाई न रखने के कारण सरवाईकल कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं तथा 23 प्रतिशत किशेारी बालिकाएॅ स्कूल छोड़ देती हैं। स्कूल जाने वाली 50 प्रतिशत किशोरी बालिकाऐं प्रतिमाह प्राय: 1 से 4 दिन अर्थात वर्ष भर में लगभग 50 दिन स्कूल नहीं जा पाती। इसका मुख्य कारण मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जानकारी न होना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सेनेटरी नेपकीन की उपलब्धता न होना है।
जेएसपीएल फाउण्डेशन, जेपीएल तमनार द्वारा महिलाओं की उपरोक्त समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए शुुुभांगी परियोजना का शुभारंभ वर्ष 2014 में किया गया, ताकि किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं के उच्च मासिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सुनिश्चित की जा सके व उन्हें अपने ही गांव में कम लागत उच्च गुणवत्तापूर्ण सेनेटरी नेपकीन उपलब्ध हो सके। इसी क्रम में परियोजनांतर्गत स्व सहायता समूह के माध्यम से सेनेटरी नेपकीन निर्माण ईकाई ग्राम बासनपाली में स्थापित की गई। पहले यह ईकाई ग्राम पंचायत के पुराने भवन में संचालित थी, जिसकी सफलता को देखते हुए ग्राम पंचायत ने महिला समूह को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध कराई जिस पर जेएसपीएल फाउण्डेशन के सहयोग से महिलाओं द्वारा भवन निर्माण किया गया। जिसमें आज सेनेटरी नेपकीन निर्माण ईकाई संचालित है। गांवों में प्रजनन स्वास्थ्य शिविरों व स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिससे किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं में प्रजनन संक्रमणों को दूर कर उन्हें मासिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान पाया गया कि महिलाएॅ स्वच्छ सेनेटरी नेपकीन के वजाय कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे कि वे विभिन्न प्रजनन संक्रमणों से ग्रसित हो जाती हैं। यह परियोजना अपने आप में एक अनुठी परियोजना है क्योकि परियोजना का प्रबंधन महिला स्व सहायता समूह व महिला स्वास्थ्य संगिनियों द्वारा किया जा रहा है। लक्ष्मी स्व सहायता समूह बासनपाली द्वारा सेनेटरी नेपकीन उत्पादन व पैकिंग का कार्य किया जाता है। वहीं क्षेत्र के गांवों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक वितरण प्रणाली विकसित की गई है। सेनेटरी नेपकीन तैयार व पैक होकर डिपो (वात्सल्य केन्द्रों) में जाता हैे। जहॉ से प्रत्येक स्वास्थ्य संगिनी सेनेटरी नेपकीन पैकेट लेकर अपने गांव में वितरित करती हैं। परियोजना अंतगर्त 15 मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षित किये गये हैं जोकि गांवों व स्कूलों में मासिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधित कक्षाएॅ लेती हैं तथा उनकी व्यक्तिगत परेषानियों को सुना व हल किया जाता है। इस परियोजना अंतगर्त एक तरफ तो महिलाओं व किशोरी बालिकाओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति जागरूक करती हैं दूसरी तरफ ये महिलाएॅ सेनेटरी नेपकीन उत्पादन व विक्रय कर आर्थिक रूप से सुदृड़ भी हो रही हैं। इस कार्य में कुल 50 महिलाएॅ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। शुभांगी परियोजना अंतगर्त फाउण्डेशन का लक्ष्य है कि क्षेत्र की प्रत्येक महिला को प्रजनन स्वास्थ्य की सही जानकारी के साथ साथ कम मूल्य व उच्च गुणवत्ता पूर्ण सेनेटरी नेपकीन उपलब्ध हो सके ताकि प्रजनन तंत्र संबंधित रोगों में कमी तथा किशोरी बालिकाओं में ड्राप आउट को रोका जा सके। उक्त विषय में माधुरी पटेल, स्वास्थ्य संगिनि कहती है कि- हमारा गांव कठरापाली अत्यंत पिछड़े क्षेत्र में आता है, यहॉ न तो महिलाएॅ और न ही किशोरी बालिकाएॅ सेनेटरी नेपकीन उपयोग करती थीं, और वे विभिन्न प्रजनन संक्रमणों से ग्रसित थी। परंतु आज परिस्थितियॉ बदल चुकी है। आज गांव की प्रत्येक किशोरी बालिका शुभांगी प्रयोग करती है। अब उन्हें उन दिनों में स्कूल नहीं छोडऩा पड़ता। ग्राम कुंजेमुरा की गीता कहती है कि – हमारे स्कूल में मासिक स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी कक्षाएॅ जेएसपीएल फाउण्डेशन, जेपीएल तमनार द्वारा लगााई गई और हमनें मासिक धर्म के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की। अब माह के उन दिनों में हमें कोई टेंशन नहीं होता है।
आज शुभांगी परियोजना ग्रामीण महिलाओं के उच्च मासिक स्वास्थ्य की सुनिश्चितता हेतु गेम चेंजर साबित हुई है। उक्त परियोजना के पीछे जेएसपीएल फाउण्डेषन का उद्देष्य न केवल महिलाओं को सेनिटरी नेपकीन का उपयोग पर जोर देना बल्कि इसकी उपयोगिता व सामाजिक विक्रय चैनल स्थापित करना लक्ष्य रहा है, जिससे कि महिलाएॅ न केवल मासिक धर्म के दिनों बल्कि सम्पूर्ण वर्ष 365 दिनों तक अपने आप को स्वतंत्र व सशक्त महसूस कर सकें। मुझे गर्व व खुशी है कि शुभांगी परियोजना आज क्षेत्र के घर घर में एक जाना पहचाना ब्राण्ड हो गया है। व्यक्तिगत स्वच्छता जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ महिलाएॅ अपने प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रही हैं और अब उन्हें दरवाजे बंद रखने की जरूरत नहीं पड़ती। यह कहना गलत नहीं होगा कि शुभांगी परियोजना एक महिला सामाजिक आंदोलन है।

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