नहीं रहे रोशन भैया …..

by Kakajee News

‘बाधाएँ कब बांध सकी है आगे बढऩे वालों को और विपदाएं कब रोक सकी है मर कर जीने वालों को। लक्ष्य ना ओझल होने पावें मेहनत करता चल, सफलता कदम चूमेगी हर दिन और हर पल।’ यह पंक्ति संघर्ष व जुझारू नेतृत्व क्षमता के धनी रोशनलाल अग्रवाल को समर्पित है। जो आज हमें अकेला छोडक़र चले गए हैं।
रोशन जिसका नाम लेते ही अंधेरा हट जाता है। अपने नाम को सार्थक करने वाले रोशनलाल युवावस्था से ही अन्याय, शोषण व जनता के हक के लिए निर्भयता व स्वच्छ ह्दय से अपनी आवाज उठाते रहे। आपातकाल के काले दिनों (26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 माह) में सत्ता की काली करतूतों का विरोध करने का साहस सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों में था, जिसमें अन्याय और अत्याचार के विरुध्द लड़ जाने की तड़प और सत्ता की ज्यादतियों को झेल जाने का हौसला था। आपातकाल के काले दिनों में एक नौजवान ने आपातकाल की ज्यादतियों का पर्चों के माध्यम से विरोध करने का बीड़ा उठाया। वे खौफ और दहशत के दिन थे। हर समय गिरफ्तारी और फिर लम्बी प्रताडऩा का खतरा सिर पर मण्डराते रहने के बावजूद एक साल तक उस युवा ने यह काम बखूबी किया। आपातकाल की खोज यह नौजवान आगे जाकर रायगढ़ जिले की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बना। जनसंघ के जमाने से लेकर अटल व मोदी युग तक उन्होंने पार्टी को खड़ा करने में पूरी जान लगा दी। संगठन में अच्छी पकड़ बनाकर राजनीति करने में विश्वास रखने वाले रोशन आम लोगों के साथ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को भी वक्त दिया करते थे। यही कारण है कि उनके चाहने वाले और समर्थकों को उनके निधन की खबर लगी तो आधे घंटे के भीतर ही उनके घर के बाहर सैकड़ों लोगों का तांता लग गया। सोशल मीडिया से लेकर वाट्सअप में लोग शोक व्यक्त करते रहे, किसी ने प्रतिक्रिया दी कि रायगढ़ ने एक लड़ाका खो दिया तो किसी ने उनको संघर्ष व जुझारू क्षमता का धनी और विपक्ष की राजनीति करने का माहिर खिलाड़ी की संज्ञा दी।

पत्रकारिता से कैसे जुड़े रोशनलाल
रोशनलाल अग्रवाल कॉलेज समय में लेखन से जुड़े थे। इसलिए पत्रकारिता का हुनर भी उनमें विकसित होता गया। स्व. रोशनलाल युगधर्म व लोकस्वर अखबार के मुखर संवादाता रहे और जनसंघर्ष का सदैव साथ दिया। वे रायगढ़ संदेश के व्यवस्थापक भी रहे। उन्होंने जुलाई 1992 से अपना प्रकाशन ‘‘दैनिक जनकर्म’’ प्रारंभ किया जो आज जिले का प्रमुख अखबार है। अखबार के प्रति उनकी सोच भी जनता के हित से जुड़ी थी,इसलिए नाम भी रखा जनकर्म । लोगों से जुड़ी समस्याओं एवं जनता की मांग को समाचार के माध्यम से प्रस्तुत कराने का सिलसिला उन्होंने अखबार के माध्यम से शुरू किया। वे जिले भर की खबरों के संकलन से लेकर उसके संपादन के काम में भी बारिकी से नजर रखते थे। यही कारण है कि जब मेल और वाट्सअप जैसी कुछ चीज नहीं थी तो उस वक्त भी उनके पास सभी हस्तियों की फोटो उपलब्ध रहती थी। उनका फोटो कलेक्शन का दौर भी ऐसा था कि भाजपा हो या कांग्रेस या कोई और बड़ी हस्ती, उन सबकी फोटो जनकर्म की लाइब्रेरी में मिल जाया करती थी। 1992 में शुरू किए दैनिक जनकर्म अखबार के माध्यम से उन्होंने समय समय पर समस्या की ओर शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया।

छात्र जीवन से ही राजनीति में आए
रोशन लाल अपने छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे और राष्ट्रीय चेतना जागृत करते रहे। आपातकाल में पूरी सक्रियता से रोशनलाल के संयोजन व दिशा निर्देश पर वन्देमातरम शताब्दी समारोह विभिन्न स्थलों पर आयोजित हुए। उसी दौरान छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने स्थानीय बूजी भवन में जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अभिनंदन किया। सन् 1977 के लोक सभा चुनाव में रोशन लाल युवा भाजपा के जिला संयोजक बने। जनता पार्टी के प्रत्याशी नरहरि साय को रायगढ़ संसदीय क्षेत्र से विजयी बनाने में उन्होंने पूरी ताकत लगा दी। रोशन का चुनाव संयोजन काम आया और नरहरि साय न केवल विजयी रहे बल्कि पहली बार रायगढ़ के सांसद के रूप में उन्हें केन्द्रीय मंत्री मंडल में स्थान मिला। इसका परिणाम यह रहा कि 1977 के विधान सभा चुनाव में रोशन लाल को प्रत्याशी चयन समिति का सदस्य बनाया गया। उस वक्त वे इस समिति के 11 सदस्यों में से सबसे कम आयु के थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा।

जिलाध्यक्ष, हाउसिंग बोर्ड डायरेक्टर और फिर विधायक
अपनी लोकप्रियता और जनता व पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़े रहने के कारण वे नवम्बर 1992 में रायगढ़ जिला भाजपा के अध्यक्ष चुने गये और सबसे कम आयु के अध्यक्ष बने। वे पूर्व सांसद नन्दकुमार साय के जुझारू सांसद प्रतिनिधि भी रहे और जिले के समस्याओं के प्रति सदैव जागरूक रहे। अपनी बेबाकी और स्पष्ट वक्तृता के नाते उन्हें जीवन में कई झंझटों से गुजरना पड़ा है परन्तु वे कभी किसी के न्याय की लड़ाई में हक दिलाने से पीछे नहीं हटे। रोशनलाल सत्य के लिए हर स्तर पर सहयोग के लिए सैदव तत्पर रहते थे। चाहे वह किसी भी पार्टी का क्यों न हो। हक की लड़ाई में सदैव न्याय के पक्ष में रहने में विश्वास करते थे। पार्टी के आदेश पर वे अनुशासित सिपाही के रूप में पहली बार रायगढ़ विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी बने। रायगढ़ के जागरूक मतदाताओं ने ह्दय से स्वीकार किया। परिणाम स्वरूप कांग्रेस के इस गढ़ में वे कुछ सौ मतों से पराजित होने वाले पहले प्रत्याशी बने। विधान सभा चुनाव के बाद उनकी सतत् सक्रियता का ही यह नतीजा रहा कि 13 वीं लोकसभा के चुनाव में रायगढ़ विधानसभा में एक बार फिर भाजपा का कमल पूरी शक्ति के साथ खिला। सामाजिक एवं शैक्षणिक मोर्चे पर भी रोशनलाल को अपनी कर्मठता के बल पर महती सफलताएं मिली है। वे विगत् कई वर्षों से स्वामी बालकृष्ण पुरी विधि महाविद्यालय की प्रशासनिक समिति के सदस्य होने के अलावा सामाजिक कार्यों में संलग्न अग्रवाल मित्र सभा रायगढ़ के संरक्षक भी है। उल्लेखनीय है कि अग्रवाल मित्र सभा की स्थापना उन्हीं के प्रयासों से हुई है। सन् 2000 में रायगढ़ जिले के पुन: भाजपा अध्यक्ष बने और अपने कार्यकाल में मंडी पंचायतों एवं स्थानीय निकायों की चुनाव में कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया था। विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विजय अग्रवाल को सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और लोक सभा चुनाव में खरसिया का दायित्व बखूबी निर्वहन करते हुए भाजपा प्रत्याशी को आजाद हिन्दुस्तान में पहली बार रायगढ़ से बढ़त मिली। रोशन अग्रवाल प्रदेश शासन के छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के डायरेक्टर भी रहे एवं सरस्वती शिशु मंदिर के सम्मानित अध्यक्ष पद के दायित्व भार का कुशलता से निर्वहन किया। 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रचण्ड मतों (20 हजार से अधिक) के साथ विजय श्री होकर रोशनलाल रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय, जुझारू व कर्मठ विधायक बने लेकिन भाजपा के 15 साल के राज के बाद कांग्रेसी आंधी आई तो साल 2018 का चुनाव वे नहीं जीत सके।

विधानसभा में भी मिली थी जिम्मेदारी
विधायक रहते हुए रोशनलाल की सक्रियता ,कर्तव्य परायणता, ईमानदारी व इच्छाशक्ति ही थी जिसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन ङ्क्षसह एवं विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने इन्हें विधानसभा के अनेक समितियों की जवाबदेही सौंपी। उन्हें प्रश्न एवं संदर्भ समिति व विशेषाधिकार समिति का सभापति नियुक्त किया गया। उन्होंने दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे की मंडल रेल्वे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति बिलासपुर सहित अनेक संस्थानों में संरक्षक के रूप में अपना बहुमूल्य समय एवं योगदान दिया।

आज दिल्ली से आएगा पार्थिव शरीर
पूर्व विधायक रोशनलाल अग्रवाल का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह साढ़े 10 बजे रायगढ़ पहुंचेगा। जिंदल के विशेष विमान से उनका पार्थिव शरीर लाया जाएगा। विशेष विमान सुबह साढ़े 8 बजे दिल्ली से उड़ान भरकर रायगढ़ पहुंचेगा। जिसके बाद जिंदल एयरस्ट्रीप से उनका पार्थिव शरीर ढिमरापुर चौक,केवड़ाबाड़ी चौक,गौशाला पारा और फिर हंडी चौक होते हुए जिला भाजपा कार्यालय पहुंचेगा।

भाजपा कार्यालय में होंगे अंतिम दर्शन
रोशनलाल जनसंघ के जमाने से ताउम्र पार्टी के सच्चे सिपाही बने रहे। भाजपा में उनके चाहने वालों की संख्या हजारों की तादाद में है। दिल्ली से उनके पार्थिव शरीर को लाने के बाद जिला भाजपा कार्यालय में रखा जाएगा। जहां दोपहर साढ़े 11 बजे से साढ़े 12 बजे तक उनके अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे। इस दौरान पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उन्हें श्रंद्धाजलि देंगे। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर किरोड़ीमल कालोनी स्थित उनके निवास स्थान ले जाया जाएगा और 3 बजे कयाघाट स्थित मुक्ति धाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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