यहां 3000 महिलाओं को बाघों ने बनाया विधवा, जानिए कैसे शिकार बन रहे हैं लोग

by Kakajee News

नरभक्षी बाघों के हमले की घटनाएं कभी-कभी आपने टीवी या अखबार में देखा या पढ़ा होगा। लेकिन देश का एक इलाका ऐसा भी है जहां लोगों का बाघों का शिकार हो जाना बेहद आम है। पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना में सुंदरबन के आसपास के गांवों में तो बाघ 3000 से अधिक महिलाओं को विधवा बना चुके हैं। गांव की महिलाओं का कहना है कि बाघ एक के बाद एक पुरुषों को अपना निवाला बनाते जा रहे हैं। असल में बांग्लादेश और भारत के बीच बसे इस घने जंगल और जलीय इलाके में रहने वाले लोग मछली पकड़कर और शहद एकत्रित करके गुजारा करते हैं। मछली और शहद की तलाश में अक्सर ये लोग कई बार जंगल में काफी अंदर तक चले जाते हैं और कई बार बाघ इन्हें अपना निवाला बना लेते हैं।

हर दूसरे घर में विधवा
Vice न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणबंगा मतस्यजीबी फोरम के प्रमुख प्रदीप चटर्जी कहते हैं कि यहां 3 हजार महिलाओं को बाघ विधवा बना चुके हैं और यह एक मोटा-मोटी अनुमान है। उन्होंने कहा कि कई गांव तो ऐसे हैं जहां हर दूसरे घर में एक महिला के पति को बाघ खा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल अप्रैल से अब तक कम से कम 60 लोग बाघों के हमले में मारे जा चुके हैं। इसकी वजह यह है कि शहरों में मजदूरी करने वाले लोग भी गांवों में लौट आए और वे यहां मछली पकड़ने का काम करने लगे।

700 के लिए खतरे में जिंदगी
चटर्जी बताते हैं कि यहां अपनी जान को जोखिम में डालकर जंगल में जाने वाले लोग मुश्किल से एक दिन में करीब 700 रुपए की आमदनी कर पाते हैं। ये लोग कई बार प्रतिबंधित इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं, जहां बंगाल टाइगर्स इन्हें निवाला बना लेते हैं। यहां बड़ी संख्या में बाघ रहते हैं। चटर्जी बताते हैं कि करीब 60 हजार लोग यहां जंगलों में काम करते हैं, लेकिन परमिट करीब एक चौथाई के पास ही है।

लीगल एक्शन के डर से नहीं मांगते मुआवजा
प्रदीप चटर्जी कहते हैं कि लीगल एक्शन के डर से लोग मुआवजे की मांग नहीं करते हैं। सुंदरबन टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर तापस दास कहते हैं कि बाघों के हमले में केवल 21 अधिकारियों के मारे जाने की रिपोर्ट है। इनमें से चार ही मुआवजे के योग्य हैं। सरकार नो एंट्री जोन से बाहर होने वाली मौतों के मामले में ही मुआवजा देती है।

क्या कहते हैं पीड़ित
हरिदासी मंडल के पति हारेन 46 साल के थे और 2014 में बाघ ने उन्हें शिकार बना लिया। हरिदासी कहती हैं कि उनके बड़े बेटे ने उसे इलाके में काम शुरू कर दिया है। वह परिवार के एक और सदस्य को खोने के डर के साथ जी रही हैं। 35 साल की सुलाता मंडल ने कहा कि उनके पति सुजीत पिछले साल अप्रैल में मछली पकड़ते हुए मारे गए। वह अपने बच्चों को तो जंगल में नहीं जाने देतीं, लेकिन कमाई का कोई और जरिया नहीं होने की वजह से खुद जंगल में जाने को मजबूर हैं।

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