जगदलपुर. नक्सलियों के द्वारा जवानों को नुकसान पहुँचाने के लिए जमीन के कई फीट के अंदर आईडी को लगाया जाता था, जिससे कि जैसे ही जवान उसकी जद में आये, नक्सली अपना काम कर सके, लेकिन नक्सलियों के इस मंसूबो को हमेशा नाकामयाब करने वाली सुसैन की मौत हो गई, सुसैन की मौत से आला अधिकारियों को काफी दुख हुआ, सुसैन के निधन के बाद उसे तिरंगे में लपेटकर ससम्मान गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया,
सुसैन के निधन पर जानकारी देते हुए सीआरपीएफ 231 बटालियन के आला अधिकारियों ने बताया कि सुसैन जवानों के साथ हर ऑपरेशन में बराबरी से चलने के साथ ही आईडी को सूंघने में काफी माहिर थी, बेल्जियम शेफर्ड फीमेल सुसैन की मौत के बाद उसे तिरंगे में लपेटकर अफसरों और जवानों ने अंतिम विदाई दी, सुकमा में चल रहे ऑपरेशन के दौरान अचानक से सुसैन की तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद से लगातार उसका उपचार भी किया जा रहा था, लेकिन ड्यूटी के दौरान सुसैन की मौत हो गई, सुकमा के सीआरपीएफ 231वीं बटालियन के हेडक्वार्टर में सुसैन को अंतिम विदाई दी गई, अफसरों-जवानों ने कंधा दिया, सलामी दी और गॉड ऑफ ऑनर के साथ ही अंतिम विदाई दी गई, 3 साल की सुसैन ने नक्सलियों के द्वारा लगाए गए सैकड़ों आईईडी को खोजने में काफी मदद की, नक्सलियों के द्वारा जमीन के भीतर लगाए गए कई आईडी के बारुद को सूंघने में सुसैन काफी माहिर थी, सुकमा जिले के जंगल में ऑपरेशन के दौरान अचानक से सुसैन की तबियत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई, अधिकारियों का कहना है कि सुसैन की मौत किस बीमारी से हुई, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है,
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