रायगढ़, कोरोना के लक्षण होने पर भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसका जीता-जागता परिणाम जिले में देखने को मिला है। कोरोना के लक्षण होने पर मां अस्पताल में भर्ती होकर अस्पताल से स्वस्थ्य होकर घर लौटी, लेकिन वहीं उसके 37 वर्षीय पुत्र ने कोविड-19 लक्षण होने के बाद इसे गंभीरता से नहीं लिया। स्थिति अत्यंत गंभीर होने पर अस्पताल पहुंचा। जहां इलाज के दौरान अंतत: उसने दम तोड़ दिया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार पुसौर ब्लाक के ग्राम झलमला निवासी एक 70 वर्षीय महिला को बुखार के साथ सांस लेने में कुछ परेशानी थी। इस पर महिला ने समय रहते कोरोना टेस्ट कराया। टेस्ट रिपोर्ट में महिला कोविड पॉजिटीव मिली। इस दौरान महिला में 60 प्रतिशत ऑक्सीजन सेचुरेशन था। इस पर महिला मेट्रो अस्पताल में भर्ती हो गई। इस दौरान उसके 37 वर्षीय पुत्र को भी बुखार होने की शिकायत थी। घर के सदस्यों और उसकी मां ने भी उसे कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी। लेकिन वह गांव के ही किसी झोला छाप डाक्टर से परामर्श लेकर दवाई खाता रहा। चार दिनों बाद अचानक उसे सांस लेने में दिक्कत हुई। इस पर परिजनों ने उसे इलाज के लिए मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया। युवक में कोरोना के पूरे लक्षण थे। इस पर युवक की कोविड जांच की गई, जो पॉजीटिव आई। एक्स-रे आदि जांच में युवक की स्थिति बहुत गंभीर निकली। डॉक्टरों ने ऑक्सीजन देकर युवक का इलाज शुरू किया। लेकिन उसने दूसरे दिन इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इस तरह लापरवाही नहीं बरतते हुए समय पर जांच व इलाज कराने पर मां 6 दिनों में स्वस्थ्य होकर घर वापस लौट आई, जबकि सही समय पर कोरोना जांच नहीं कराने और लापरवाही बरतने पर पुत्र की इलाज के दौरान मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज के कोविड के नोडल आफिसर डॉ. वेद प्रकाश गिल्ले ने बताया कि वर्तमान में जो कोविड-19 के केस आ रहे हैं। उनमें वायरस की संक्रमण क्षमता बहुत अधिक है। पूर्व में मरीज 8 से 10 दिनों गंभीर होता था। लेकिन वर्तमान में दो-तीन दिनों में ही मरीजों की स्थिति गंभीर हो रही और सही समय पर जांच और उपचार नही कराने पर उनकी मृत्यु हो रही है। वर्तमान में जो भी कोविड 19 के केस आ रहे हैं उनमें वायरस की फैलने की क्षमता बहुत तेज है। मरीज को लक्षण आने के एक-दो दिनों में ही फेफड़ों को गंभीर रूप से संक्रमित करने की बाते सामने आ रही है। यही वजह है कि वर्तमान में जो भी कोविड-19 के मरीज आ रहे हैं उन्हें सांस लेने में दिक्कतें हो रही है और अधिकांश मरीजों को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में तेज बुखार, खांसी, सर्दी, कमजोरी, उल्टी, दस्त आदि लक्षण होने पर बिना देरी किए लोगों को कोविड-19 टेस्ट करना चाहिए। टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर समय पर इलाज शुरू होने पर ही मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
ऑक्सीजन लेवल 6 मिनट चलाकर लेना कारगर
कोविड नोडल आफिसर डॉ.वेद प्रकाश गिल्ले ने बताया कि वर्तमान में जो मरीज आ रहे हैं। ऐसे मरीजों के शरीर से ऑक्सीजन लेवल का तुरंत उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। वर्तमान में कई मरीज ऐसे मिले जिनका ऑक्सीमीटर से शरीर पर ऑक्सीजन की मात्रा लेने पर 90 से 94 प्रतिशत अंकित किया गया, लेकिन आधे एक घंटे के समय अंतराल में ही मरीज के ऑक्सीजन लेवल में 10 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 6 मिनट चलाकर लेना दोबारा लेने की आवश्यकता है। डॉ.गिल्ले ने बताया कि पहली जांच में ऑक्सीजन मात्रा 90 है तो ऐसे मरीजों को 6 मिनट तक चलाकर दुबारा ऑक्सीजन लेवल जांच करनी चाहिए। यदि चलाने के बाद ली गई जांच में 4 प्रतिशत गिरावट नहीं आती है, तो मरीज की स्थिति सामान्य मानी जा सकती है। इसके विपरित यदि 6 मिनट चलने के बाद मरीज के ऑक्सीजन लेवल में 4 से 6 प्रतिशत या अधिक की गिरावट आती है तो इसे चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ को गंभीरता से लेते हुए ऑक्सीजन देने के साथ फेफड़े की एक्स-रे जांच करने के साथ इलाज शुरू कर देना चाहिए।