मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर में 20 साल की एक लड़की ने अपने पापा से गुहार लगाई कि मुझे प्लीज यहां से ले जाओ वरना कोरोना से बाद में लेकिन यहां की अव्यवस्था से पहले मर जाऊंगी. एक बेटी की ऐसी पुकार के बाद पिता से रहा नहीं गया और वो कोरोना संक्रमित बेटी को अपने साथ घर ले आया. मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में पैसे लेने के बावजूद कोरोना संक्रमित को इलाज देने के बजाए उसे बैठाए रखा और उसको देखने कोई डॉक्टर या नर्स तक देखने नहीं आए.
कोरोना काल के इस भयावह समय में प्राइवेट अस्पताल अपनी जेब भरने में लगे हैं. वहीं लोग व्यवस्था नहीं होने के कारण कई तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं. बदहाल व्यवस्था और बेबसी के बीच मिठनपुरा इलाके के एक परिवार ने अपनी बेटी का चार दिन पहले कोविड टेस्ट कराया था जिसमें वह नेगेटिव पाई गई. वहीं जब रविवार को उसका ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा तो परिवार घबरा गया. लड़की को लेकर बैरिया स्थित एक प्राइवेट अस्पताल लेकर गए तो उन्हें जवाब दे दिया गया कि यहां कोरोना संक्रमितों का इलाज नहीं किया जाता है. वहीं इसके बाद परिवार अपनी बेटी को लेकर मेडिकल कॉलेज से आगे एक प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे वहां अस्पताल ने पहले 50 हजार मांगे और जमा करने के बाद परिवार को जाने के लिए कह दिया.
अस्पताल में भर्ती होने के दो घंटे बाद ही लड़की ने घर पर फोन कर दिया कि अबतक मुझे बैठाकर रखा है. कोई देखने नहीं आया है इसके बाद परिवार अस्पताल पहुंचा और हंगामा किया तो डॉक्टर को बुलाया गया. अस्पताल में व्यवस्था इतनी खराब है कि उस अस्पताल में सात से आठ कोरोना संक्रमित थे लेकिन सभी के लिए एक ही वॉशरूम था. छात्रा के अनुसार वॉशरूम में साबुन तक नहीं था. उसने बताया कि अगर वह वहां रहती तो दो दिन के बजाए एक ही दिन में मर जाती. छात्रा के पिता ने बताया कि वह अपनी बेटी को शाम 6 बजे ही घर ले आए.
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