कोरोना महामारी का असर दूसरे वर्ष भी शिक्षण संस्थानों पर भारी पड़ रहा है। मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूल से लेकर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब है। स्कूलों का अभिभावकों पर लाखों से लेकर करोड़ों रुपए फीस मद में बकाया है। स्थिति यह है कि 200 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों ने फीस नहीं मिलने पर ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर दी। फीस नहीं मिलने, ऑनलाइन पढ़ाई नहीं होने पर स्कूलों ने फंड नहीं होने की बात कह कर शिक्षकों का वेतन बंद कर दिया गया है।
ऐसे में काफी संख्या में शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं। कुछ ने तो होम ट्यूशन शुरू किया तो कई स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे हैं। स्कूलों का स्पष्ट कहना है कि हम क्या करें। शहर में संचालित नामी-गिरामी बड़े स्कूलों को तो फीस मिल जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में संचालित मान्यता प्राप्त स्कूलों व गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की स्थिति बेहतर नहीं है। बताते चलें कि जिले में सरकारी, मान्यता प्राप्त, गैर मान्यता प्राप्त 2548 स्कूल संचालित हैं। इनमें पांच लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
शिक्षकों का कहना है कि फंड नहीं होने की बात कह कई स्कूलों ने वेतन कम कर दिया तो कई ने शिक्षकों को नौकरी से फिलहाल हटाया दिया है। काफी संख्या में एक विषय के शिक्षक ऑनलाइन क्लास में उक्त क्लास के सभी सेक्शन को एक साथ पढ़ा रहे हैं। ऑनलाइन व्यवस्था के कारण शिक्षकों की कम संख्या से भी पढ़ाई हो जा रही है। शिक्षकों ने कहा कि अभिभावकों से अनुरोध है कि फीस जमा करें व स्कूल हमलोगों को वेतन दे।
पूरी फीस नहीं मिलने के कारण शिक्षकों को 50 फीसदी वेतन: सुधांशु
झारखंड प्राइवेट स्कूल एसो. के जिला संयोजक सुधांशु शेखर का कहना है कि कोरोना के कारण निश्चित रूप से गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की स्थिति बेहतर नहीं है। कोरोना के कारण काफी संख्या में स्कूल बंद हो गए। जिले के 200 से अधिक स्कूलों ने अभिभावकों से मासिक फीस नहीं मिलने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर दी। आखिर कब तक बिना फीस लिए ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी जा सकती है। फंड नहीं रहने के कारण शिक्षकों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। शिक्षकों से कहा गया है कि स्कूल खुलने पर बुलाए जाएंगे। अन्य स्कूलों में 50-60 फीसदी अभिभावक नियमित मासिक फीस दे रहे हैं। इस कारण हमलोग शिक्षकों को 50 फीसदी ही वेतन भुगतान करने की स्थिति में हैं। अनुरोध है कि अभिभावक स्कूल में नियमित तौर पर मासिक फीस जमा करें।
धनबाद पब्लिक का फीस मद में तीन करोड़ से अधिक बकाया: सचिव
धनबाद पब्लिक स्कूल के सचिव सीए अनिल कुमार अग्रवाल का कहना है कि काफी संख्या में अभिभावकों ने जुलाई 2019 से ही मासिक फीस नहीं दी है। यह बकाया तीन करोड़ रुपए से अधिक है। आखिर में हमलोग स्कूल का संचालन करें तो कैसे? शैक्षणिक सत्र 2019- के 68 अभिभावकों ने फीस नहीं दी है। उनपर 8.63 लाख बकाया है। शैक्षणिक सत्र 2020-21 पर 269 अभिभावकों पर 44.41 लाख रुपए व 2021-22 के 3546 अभिभावकों ने अब तक फीस नहीं दी है। यह राशि 2.61 करोड़ रुपए है। ऐसे में हमालोग शिक्षक को वेतन से लेकर अन्य कार्य कैसे करें? सरकार के निर्देश का पालन करते हुए फीस भी नहीं दे रहे हैं। अभिभावकों से अपील है कि स्कूल के संचालन के लिए फीस का नियमित तौर पर भुगतान करें।
स्कूल खुलने का कर रहे इंतजार: प्रमोद
गैर मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल में शिक्षक प्रमोद कुमार का कहना है कि अभिभावकों ने फीस जमा नहीं की। ऐसे में मार्च 2020 के बाद हमलोगों को वेतन मिलना बंद हो गया है। गिनती के कुछ अभिभावक फीस जमा करा रहे हैं। स्थिति को देखते हुए हमलोग एक तरह से बेरोजगार ही हैं। परिवार चलाने के लिए शिक्षण कार्य छोड़ कर अभी दूसरे काम में लग गए हैं। इसके अलावे कोई विकल्प भी नहीं था। उम्मीद है कि स्कूल खुलने पर हमलोग वापस अपने मूल काम में लौट आएंगे। अभिभावक मासिक फीस का जरूर भुगतान करें, अन्यथा शिक्षकों व कर्मियों को वेतन नहीं मिलेगा।