उस अबोध बच्ची का कुसूर बस इतना है कि उसने इस दुनिया में जन्म लिया। वह अभी यह भी समझने लायक नहीं हुई है कि कौन अपना और कौन पराया। इससे पहले कि मां की ममता भरी आंचल में वह चैन से सोती या पिता के कंधे पर बैठ दुनिया को निहारती उसे चंद रुपयों में बेच दिया गया। वह भी इसलिए कि पिता को दोस्तों के साथ शराब पार्टी करनी थी। 28 दिन की बच्ची कुछ मिनटों में उस घर से परायी हो गई जहां के नाम से इस दुनिया में जानी जाती। ऐसा उसी पिता ने किया जिसकी अंगुली पकड़कर पगडंडी होते हुए स्कूल या बाजार तक जाती। दिल को झकझोर देने वाला यह वाकया पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी प्रखंड के मेरेलगाड़ा गांव का है।
इस गांव के पेशे से ड्राइवर बुधवराम चतोम्बा चार दिन पहले अपनी नवजात बेटी का सौदा 30 हजार रुपये में कर डाला। इससे पहले उसकी पत्नी उन्वासी चतोम्बा कुछ समझ पाती, बड़ाजामदा के एक परिवार के हाथों उसकी लाडो बिक चुकी थी। उसे यह भी पता नहीं कि उसकी लाडो कहां और किस हाल में है? ग्रामीणों से इसकी जानकारी मिलने पर परम बालजोड़ी के मानकी सुरेंद्र चतोम्बा और गांव के मुंडा (मुखिया) जयराम बारजो जब बुधराम के घर पहुंचे तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। हालांकि मानकी और मुंडा के साथ ग्रामीणों को देखकर आरोपी फरार हो गया।
चार दिन पहले बड़ाजामदा से एक पुरुष और तीन महिलाएं उसके घर आये थे। उसके पति ने उसकी गोद से बेटी को ले कर उन्हें थमा दिया। यह कहा कि पहले से इतने सारे बच्चे है, उन्हें पालना मुश्किल हो रहा है। इसे दे देने में कोई हर्ज नही है। तीस हजार रुपये भी मिल रहे हैं। पैसे का लेनदेन कब और कहां हुआ इसकी जानकारी उसे नही है। बुधराम की दो पत्नी और नौ बच्चे पहले से हैं। ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि गर्भ में ही बुधराम ने सौदा कर लिया था।