सड़क दुर्घटना में जख्मी किसी अनजान व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाकर जान बचाने वाले व्यक्ति (गुड सेमेरिटन) को राज्य सरकार की ओर से पांच हजार रुपए इनाम और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। राज्य सरकार ने गुड सेमेरिटन को कानूनी पेचीदगियों से बचाने के अलावा सम्मान स्वरूप पांच हजार रुपए व प्रशस्ति पत्र देने का प्रावधान किया है ताकि लोग सड़क दुर्घटना में घायल की बिना किसी डर के तत्काल मदद कर उनकी जान बचाने में मददगार बन सकें।
इस बाबत सरकार के परिवहन विभाग (सड़क सुरक्षा) ने अधिसूचना जारी की है। उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने मंगलवार को जिलावासियों से अपील की है कि सड़क दुर्घटना में घायल किसी भी अनजान व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाकर जान बचाने का काम करें। गंभीर रूप से घायल व्यक्ति की सहायता करने तथा सुनहरा घंटा (गोल्डेन आवर) में अस्पताल पहुंचाने में सहायता करने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए पांच हजार नकद पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।
इस योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल को अस्पताल में पहुंचाता है तो उसे जानकारी नोट करवाने के बाद तुरंत ही अस्पताल से जाने दिया जाएगा। उससे ज्यादा पूछताछ नहीं की जाएगी। अक्सर आम लोग कानूनी कार्रवाई के डर से सहायता करने से कतराते हैं। जिस कारण कई बार घायल को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाती है। पुलिस उनसे सामान्य जानकारी के अलावा अन्य पूछताछ नहीं करेगी और न ही पुलिस थाने आने के लिए बाध्य करेगी। अस्पताल घायल को पहुंचाने वालों से घायल के उपचार के लिए पैसों की मांग नहीं करेंगे। साथ ही, उपचार भी तत्काल शुरू करना होगा।
घायल व्यक्ति को लाने वाले मददगार अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर अस्पताल स्टाफ को नोट करवा दें। घायल व्यक्ति को इलाज के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार करेंगे कि व्यक्ति गंभीर था या नहीं, इस रिपोर्ट के आधार पर ही लाभार्थी को विभाग की सामान्य प्रक्रियाओं के बाद सम्मान राशि व प्रशस्ति पत्र दी जाएगा। निधित प्रावधान के अनुपालानार्थ राज्य सरकार ने सभी जिलों में जिला स्तरीय मूल्यांकन समिति व राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय अनुश्रवण समिति गठित की है। समिति में उपायुक्त अध्यक्ष होंगे, जबकि सदस्य के रूप में पुलिस अधीक्षक, सिविल सर्जन व सदस्य सचिव जिला परिवहन पदाधिकारी हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए गुड सेमेरिटन की गाइडलाइन निर्धारित की थी। सुप्रीम कोर्ट की निर्देशानुसार अगर मददगार घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसे अनावश्यक पूछताछ नहीं की जाएगी और न ही उसके घायल के बारे बताने के लिए बाध्य किया जा सकेगा।