केवल आयोजन तक न सिमटे केलो की आरती, महाआरती में उमड़ा शहर के श्रद्धालुओं का जनसैलाब

by Kakajee News

रायगढ़ । पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी आज मकर संक्राति के पावन पर्व पर रायगढ़ जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली केलो नदी की महाआरती का कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न हो गया। इस अवसर पर रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक, जिले के पुलिस कप्तान संतोष सिंह, रायगढ़ नगर निगम के सभापति जयंत ठेठवार जैसे विशिष्ट व्यक्तियों के अलावे बड़ी संख्या में शहर के लोग भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राजापारा स्थित राजघाट में हजारों की संख्या में शहरवासी जुटे खास बात यह रही कि आस्था और विश्वास पर कोरोना के नियम और डर पर श्रद्धा हावी रही। बड़ी संख्या में लोगों ने जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। केलो की महाआरती में हिस्सा लिया और आयोजन समिति की ओर से वितरित किए जा रहे प्रसाद को ग्रहण किया।
रायगढ़ शहर की बड़ी आबादी को पीने का पानी और निस्तार का पानी उपलब्ध कराने वाली केलो नदी के प्रति महाआरती के माध्यम से श्रद्धा और आभार प्रकट करने का यह एक अच्छा अवसर है। नि:संदेह इस आयोजन के आयोजक इस हेतु साधुवाद के पात्र हैं। यहीं एक लाजमी सवाल भी उठाता है कि या साल के एक दिन महाआरती जैसे उत्सव का आयोजन कर हम केलो नदी के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरी कर लेते हैं? इसका सीधा सा जवाब यही है कि महज आरती करके हम अपनी श्रद्धा को उत्सव रूप देकर अपनी उत्सवधर्मी मानसिकता को ही संतुष्ट करते हैं। आज केलो नदी की वास्तविक स्थिति क्या है यह छिपी हुई बात नहीं है।
रायगढ़ शहर से निकलने वाला सारा कूड़ा-करकट नालियों और छोटे नालों के माध्यम से केलो नदी में अनावरत गिरता रहता है। इतना ही नहीं पिछले वर्षों में नदी के किनारे स्थापित करीब एक दर्जन उद्योग जो अपनी जरूरत का पानी तो केलो से लेते हैं लेकिन अपना सारा गंदा रासायनयुक्त पानी केलो में उड़ेल देते हैं। नतीजा यह है कि इन क्षेत्रों में केलो नदी का जल पीना तो बहुत दूर नहाने और अन्य निस्तार के योग्य भी नहीं रह गया है। नदी को इस प्रदूषण से मुत करने के लिये चर्चाएं तो बहुत होती है लेकिन अमल के मामले में हम आज भी उसी जगह खड़े हैं जहां आज से 20 साल पहले खड़े थे। यहां यह भी बताना होगा कि केलो नदी पर बनाया गया वृहद बांध जिसका उद्देश्य किसानों की खेतों की प्यास बुझाना था वह अपने इस उद्देश्य में अभी तक असफल ही साबित हुआ है। बांध बन जाने के वर्षों बाद तक इस जिले के किसानों की खेतों तक बांध का एक बूंद पानी भी नहीं पहुंचा है जबकि उद्योगपतियों के लिये बांध के पानी की पूरी सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।

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