भोपाल। देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ होने का तमगा हासिल कर टाइगर स्टेट बने मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा कम करने के जतन शुरू हो गए हैं। बाघों की मौत की मुख्य वजह उनका संरक्षित क्षेत्रों (टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, अभयारण्य) से बाहर निकलकर आना ही है। इस पर तभी रोक लग सकती है, जब संरक्षित क्षेत्रों के बीच सुरक्षित कारिडोर (जंगल में गलियारा) हों और राज्य सरकार इसी पर काम कर रही है। मंडला जिले के कान्हा नेशनल पार्क, उमरिया जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क और सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व को एक-दूसरे से जोड़ा जा रहा है।
बाघों की एक से दूसरे जंगल में सुरक्षित आवाजाही के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने प्रदेश में 11 संभावित कारिडोर तलाश किए हैं, जो घने जंगल और मैदानी क्षेत्रों के माध्यम से प्रदेश के अन्य कोनों पर स्थित दूसरे संरक्षित क्षेत्रों को जोड़ते हैं। अब इन्हीं का प्रबंधन किया जाना है।
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि ये कारिडोर सुरक्षित कर लिए गए, तो बाघों का जंगल से बाहर निकलना बहुत कम हो जाएगा। इतना ही नहीं, बाघ-मानव द्वंद्व की स्थिति भी नहीं बनेगी। प्रदेश के सभी संरक्षित क्षेत्रों के वन्यजीव प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार राशि देती है, पर इन क्षेत्रों के बाहर प्रबंधन के लिए कोई राशि नहीं मिलती। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने अलग बजट का प्रविधान भी किया है।
कारिडोर से हटाए जाएंगे गांव
एक से दूसरे नेशनल पार्क तक बने कारिडोर में घास, पानी की उपलब्धता और आगजनी की घटनाएं रोकने पर काम होगा। कारिडोर में जहां खुला क्षेत्र (खेत या मैदान) आ रहा है, वहां वनभूमि और राजस्व भूमि पर पौधे रोपने की रणनीति बनी है। इसके अलावा जिन कारिडोर में बाघों की ज्यादा आवाजाही है, वहां से गांव भी शिफ्ट किए जाने हैं। कान्हा एवं पेंच कारिडोर से एक गांव हटा भी दिया गया है।
अंडरपास, ओवरपास भी खत्म करेंगे गतिरोध
बाघों के रास्ते का गतिरोध अंडरपास और ओवरपास भी खत्म करेंगे। संरक्षित क्षेत्र या व्यस्ततम कारिडोर से सड़क, रेलवे लाइन, नहर आदि बाधाएं इन्हीं के माध्यम से दूर होंगी। जंगल में होने वाले ऐसे नए कार्यों में ये शर्तें जोड़ी जा रही हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व के बीच से गुजर रहे नेशनल हाईवे-सात और रातापानी टाइगर रिजर्व से गुजर रही रेलवे लाइन के लिए ये शर्तें लगाई गई हैं।
मध्य प्रदेश में इतने कारिडोर
- कान्हा से पेंच टाइगर रिजर्व
- पेंच से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
- सतपुड़ा से मेलघाट (महाराष्ट्र) टाइगर रिजर्व
- बांधवगढ़ से संजय दुबरी टाइगर रिजर्व
- पन्ना टाइगर रिजर्व से रातापानी अभयारण्य
- रातापानी से ओंकारेश्वर अभयारण्य
- पन्ना से माधव टाइगर रिजर्व शिवपुरी,
- माधव टाइगर रिजर्व से कूनो पालपुर नेशनल पार्क श्योपुर
- कूनो पालपुर से रणथंभौर टाइगर रिजर्व (राजस्थान)
- पन्ना से रानीपुर नेशनल पार्क (उत्तर प्रदेश)
- संजय दुबरी से घासीदार होते हुए झारखंड का पलामू पार्क