गुजरात में दो साल में 133 शेरों की हो चुकी है मौत, बावजूद मध्य प्रदेश को 10 शेर देने को तैयार नहीं

by Kakajee News

देश में सिर्फ गुजरात के गिर अभयारण्य में पाए जाने वाले शेरों (बब्बर शेर या एशियाटिक लायन) के लिए मध्य प्रदेश पलक पांवड़े बिछाए बैठा है, पर गुजरात सरकार 10 शेर भी देने को तैयार नहीं है। यह स्थिति तब है जब अभयारण्य में शेरों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। पिछले दिनों गुजरात विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक अभयारण्य में 01 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच विभिन्न् कारणों से 313 शेरों की मौत हुई है। इनमें 152 तो शावक हैं।
मध्य प्रदेश की धरती पर शेरों को आबाद करने का सपना साकार करने के लिए वर्ष 2010 से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जब भारत सरकार भी गुजरात से शेर नहीं दिला पाई, तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और 15 अप्रैल 2013 को कोर्ट ने गुजरात सरकार को छह महीने (अक्टूबर 2013 तक) में मध्य प्रदेश को शेर देने का फैसला सुनाया, पर गुजरात सरकार ने शेर नहीं दिए।
वर्ष 2014 में सूचना के अधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने अवमानना याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई के बाद 10 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और गुजरात सरकार को नोटिस भी दिया था, पर गुजरात ने शेर नहीं दिए। आखिरी बार वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री रहते हुए कमल नाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखा था।
गौरतलब है कि शेरों की प्रजाति को महामारी से बचाने के लिए मध्य प्रदेश में बसाने का फैसला वर्ष 1992 में हुआ था। भारत सरकार ने ‘सिंह परियोजना” को मंजूरी दी और भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों की सलाह पर श्योपुर जिले के कूनो पालपुर का जंगल शेरों की नई आबादी के लिए तैयार किया गया। इसे नेशनल पार्क का दर्जा देने, 24 गांवों को विस्थापित करने और घास के मैदान सहित अन्य संसाधन जुटाने पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पिछले 28 साल से संचालक सहित तीन दर्जन कर्मचारियों की टीम जंगल की रखवाली कर रही है। जिन शेरों के लिए इतने इंतजाम किए गए, वह मिलने की उम्मीद खत्म होती जा रही है।

बदस्तूर जारी है मौत का सिलसिला
1412 वर्ग किमी में फैले गिर अभयारण्य में शेरों की मौत की बात करें, तो इतनी बड़ी संख्या में मौत का आंकड़ा पहली बार सामने नहीं आया है। वर्ष 2018 में अभयारण्य में कैनाइन डिस्टेंपर जैसे घातक वायरस की चपेट में आने से 23 शेरों की मौत हुई थी। वर्तमान आंकड़ों की बात करें, तो वर्ष 2019 में 154 और वर्ष 2020 में 159 शेरों की मौत हुई है। इनमें 71 शेर, 90 शेरनियां और 152 शावक शामिल हैं। वर्तमान में गिर अभयारण्य में 674 शेर हैं।

Related Posts