रायगढ़। जिले में 0 से 5 वर्ष तक के कुल 10,887 कुपोषित बच्चों के पास सप्ताह में 6 दिन एक समय का गर्म भोजन टिफिन के माध्यम से पहुंच रहा है। इस कार्य को बखूबी अंजाम दे रही हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता। इस भोजन के साथ ही बच्चों को 100 मिलिलीटर दूध भी दिया जा रहा है। जिले की 774 ग्राम पंचायतों में 70 फीसदी ग्राम पंचातयों में सरपंचों के माध्यम से दूध उपलब्ध कराया जा रहा है।
कोरोना के दूसरे संक्रमण लहर के कारण जिले के सभी 3407 आंगनबाड़ी केंद्र एहतियात के तौर पर बंद है लेकिन यहां कार्य करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का काम पहले से कई गुना बढ़ गया है। वह एक्टिव सर्विलांस का काम कर रही हैं, टीकाकरण के लिए लोगों को समझा रही हैं और टीकाकरण केंद्र तक भी ले जा रही हैं। इस बीच वह जो काम सबसे प्रमुखता से कर रही हैं वह है उनके क्षेत्र के बच्चों को कुपोषित बच्चों को गर्म भोजन का टिफिन देने का| यह गर्म भोजन का टिफिन सप्ताह में 6 दिन बच्चों के घर-घर पहुंचाया जा रहा है जिसमें तीन दिन मीठी दलिया और तीन दिन सभी सब्जियों से युक्त नमकीन दलिया दिया जा रहा है, सप्ताह में एक दिन बच्चों को अंडा दिया जा रहा है। गर्म भोजन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका की मदद से आंगनबाड़ी केंद्र में तैयार कर रही हैं।
छह माह से 3 वर्ष तक 58, 939 बच्चों, 3 से 6 वर्ष तक 44,843 बच्चों, गर्भवती 10,478, शिशुवती 11.361 महिलाओं को इस कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रेडी टू ईट भोजन घर-घर जाकर दे रही हैं।
कुषोपण भगाना हमारा लक्ष्य : डीपीओ जाटवार
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला परियोजना अधिकारी टीकवेंद्र जाटवार बताते हैं: “जिले में कुपोषण पर नियंत्रण करने के लिए कलेक्टर भीम सिंह ने विभाग को हरसंभव कोशिश करने को कहा था। इसी तारतम्य में हमनें कुपोषित बच्चों के घर तक गर्म भोजन का टिफिन पहुंचाने की व्यवस्था की है, जो कुपोषण दूर करने में एक कारगर उपाय है। इस संक्रमण के दौर में हमारी आंगबाड़ी कार्यकर्ता हर मोर्च पर डटी हुई हैं। उनके माध्यम से हमारा रायगढ़ शत प्रतिशत सुपोषण की ओर बढ़ रहा है। जिले से कुपोषण भगाना हमारा लक्ष्य है और हम इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं।“
पोषण वाटिका की सब्जियां हो रही प्रयुक्त
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बनाए जाने वाले गर्म खाने के लिए पोषण वाटिका में सब्जी व फल तैयार किए जा रहे हैं। वाटिका में तैयार होने वाली सब्जी गर्म खाना बनाने में प्रयोग होती है। इससे बच्चों को शुद्ध पौष्टिक सब्जी व फल खाने को मिलता है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस बाबत बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रो में पोषण वाटिका में पौधे व सब्जियों की खेती शुरू हो गई है। विभाग यहां मुनगा के पौधौं को लगाने पर भी ज्यादा जोर दे रहा है। जिन-जिन आंगनबाड़ियों में पोषण वाटिका तैयार हो गई है वह जिला मुख्यालय में उसकी फोटो भेज रहे हैं और जहां अभी वाटिकाएं बनाई जा रही हैं उन पर विभाग के सुपरवाइजर नजर रखे हुए हैं।
सबकी सुरक्षा हमारे कंधो पर
घरघोड़ा के कोनपारा की 44 वर्षीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्यारी राठिया बताती हैं कि बाहर से आए लोगों को क्वारंटाइन सेंटर ले जाना हो, कोविड टीका लगवाना हो या फिर धनात्मक मरीजों के संपर्क में आए लोगों का टेस्ट और उन्हें दवाई वितरण करना हो यह सभी काम वह कर रही हैं जो कि उनके सामान्य काम के अलावा सौंपा गया कार्य है। वह कहती हैं: “बीते डेढ़ साल में हर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। हम सबसे नीचे कार्य करने वाली ईकाई हैं। स्वास्थ्य सुरक्षा की बागडोर हम ही संभाले हुए हैं। लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित करना, सामाजिक दूरी का पालन करना हम लगातार बता रहे हैं। गर्म भोजन को आंगनबाड़ी मे ही तैयार किया जाता है। ज्यादातर हरी सब्जियों को हम बाड़ी से लाते हैं पर कुछ को बाहर से खरीदना पड़ता है। बच्चे जब हमारे हाथ का बना हुआ खाना खाते हैं और उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है वही हमारा असली पारिश्रमिक होता है।