गढ़वा प्रखंड मुख्यालय के भीतर भंडरिया टोला में दो दिनों के अंदर चाचा-भतीजे की मौत से हड़कंप मच गया। कोरोना के भय के कारण शव का अंतिम संस्कार में भी देरी हुई। अंतिम संस्कार के लिए भी गांव टोले के लोग हिम्मत नहीं जुटा पाए। टोला के 65 वर्षीय बंधु सिंह का शव मौत के 30 घंटे तक पीपीई किट का इंतजार करता रहा। पीपीई किट न होने की वजह से लोग आगे नहीं आ रहे थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रखंड मुख्यालय के भीतर भंडरिया व जोगियामठ टोले में ज्यादातर लोग बीमार हैं। वहां हर घर में सर्दी, बुखार और खांसी के मरीज हैं। उनका न तो जांच हो रहा है न ही समुचित इलाज। ग्रामीण झोला छाप डॉक्टर के भरोसे हैं। बीमार होने पर घर पर ही इलाज करा रहे हैं। उक्त इलाकों में अबतक मेडिकल कैंप नहीं लगाया गया है।
बताया जाता है कि मंगलवार को स्थानीय निवासी 42 वर्षीय दरोगा सिंह की मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार कर परिवार अभी दुख से उबरा भी नहीं था कि उसके चाचा 65 वर्षीय बंधु सिंह की भी मौत हो गई। परिवार में पति-पत्नी ही हैं। उनका संतान नहीं है। परिवार में चाचा-भतीजे की मौत की खबर गांव में आग की तरह फैली। बंधु की मौत के बाद लोगों को डर सताने लगा कि उसकी मौत कोरोना से हुई है।
उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए कोई आगे नहीं आया। असहाय पत्नी लोगों से अंतिम संस्कार के लिए आरजू विनती करती रही पर कोई हिम्मत नहीं जुटा पाया। वह महिला 30 घंटे शव के पास चुपचाप बैठी रही। वह पति के शव की रखवाली करती रही। स्थानीय लोगों ने उसकी जानकारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी विजय किशोर रजक को दी। उनसे पीपीई किट की मांग की गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उन्होंने पीपीई देने से इनकार कर दिया।
पीपीई किट के इंतजार में शव करीब 30 घंटे तक घर में ही पड़ा रहा। पीपीई किट नहीं मिलने से लोगों में अस्पताल कर्मियों के प्रति कड़ी नाराजगी है। उसकी सूचना अंचलाधिकारी मदन महली को दी गई। अंचलाधिकारी ने 27 मई तक छुट्टी में रहने की बात कहकर बीडीओ से संपर्क करने को कहा। घटना की सूचना पाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह नितेश कुमार, समाजसेवी सतीश सिन्हा, देवानंद कुमार व संजय केशरी के संयुक्त प्रयास से लोग अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए।
गढ़वा के युवा समाजसेवी विवेक तिवारी से संपर्क कर सदर अस्पताल से पीपीई किट, मास्क, गलब्स सहित अन्य सामग्री की व्यवस्था करायी गई। उक्त बाबत स्थानीय सांसद प्रतिनिधि रूपनिरंजन सिन्हा ने चिकित्सक से बात कर पीपीई किट के लिए कहा पर सीएचसी भंडरिया में किट उपलब्ध नहीं कराने पर नाराजगी जतायी। विकास तिवारी के माध्यम से गढ़वा से पीपीई किट आने पर 30 घंटे घंटे बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।
मौके पर गऊंवा विशेश्वर मांझी, बावन सिंह, विजय सिंह, सूर्यदेव सिंह सहित अन्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उक्त बाबत बीडीसी सुशील सिन्हा ने कहा कि सबके आग्रह पर भी पीपीई किट उपलब्ध नहीं कराना संवेदनहीनता है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी विजय किशोर रजक ने बताया कि पीपीई किट हमारे पास जरूरत भर ही है। उक्त कारण अस्पताल से देना संभव नहीं है। बाद में उनसे संपर्क करने पर यूटर्न लेते हुए कहा कि पीपीई किट की व्यवस्था हो गई थी। इतना कहकर फोन काट दिया। बीडीओ बिपिन कुमार भारती ने कहा कि किसी प्रकार मृतक का अंतिम संस्कार करा लें। अस्पताल से पीपीई किट किस स्थिति में नहीं उपलब्ध कराया गया यह जांच कर पता किया जाएगा।