यहां दुर्गावती नदी में एक तरफ कैमूर तो दूसरी तरफ रोहतास की व्रतियों ने एक साथ दिया अर्घ्य

by Kakajee News

कोरोना पर भारी पड़ा आस्था का महापर्व, डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ महापर्व संपन्न

मन्नत पूरा होने पर दंडवत करते व्रती पहुँचे छठ घाट

कांच ही बांस के बहगिया, बहंगी लचकत जाय…छठ गीत से गुलजार रहा छठ घाट और गली मोहल्ले

रामपुर/कैमूर । रामपुर प्रखंड में कोरोना पर सूर्य उपासना व लोक आस्‍था का महापर्व छठ पूजा भारी पड़ा। जहाँ शुक्रवार की शाम डूबते व शनिवार को उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व संपन्न हो गया। रामपुर प्रखंड में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ छठ पूजा मनाया गया।

प्रखंड में कोरोना काल में पहली बार छठ महापर्व हुआ। छठ महापर्व को लेकर बिहार सरकार के गृह विभाग द्वारा गाइडलाइंस जारी किया गया था। लेकिन उसका खास पालन नहीं हो पाया। कोरोना पर आस्था का यह त्योहार भारी पड़ा। सरकार के कोरोना के गाइडलाइंस धरी की धरी रह गयी।

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रामपुर प्रखंड के बेलांव में छठ व्रतियों द्वारा सोन उच्चस्तरीय नहर के पानी में, अकोढ़ी,झाली,बहेरी, नौहट्टा आदि गांव तालाब में, सबार गांव में दुर्गावती नदी में डूबकी लगाते हुए अस्तचलगामी व उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया। रामपुर प्रखंड में सबार गांव के दुर्गावती नदी पर एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। जहां नदी के एक तरफ कैमूर के व्रती तो दूसरी तरफ रोहतास जिले व्रतियों ने एक साथ छठ मईया की पूजा अर्चना की।

सबार के दुर्गावती नदी के पश्चिम में कैमूर के व्रती

वही दुर्गावती नदी के पश्चिम में सबार,पांडेयपुर के छठ व्रती तो नदी के उस पार पूरब में रोहतास जिले के चेनारी के व्रती पहुँचे। जहां एक साथ डूबते व उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस दृश्य को देखने के बाद काफी मनमोहक व आकर्षक लग रहा था। छठ महापर्व ही एक ऐसा त्योहार है। जहां सभी वर्ग के लोग एक साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देते है।

दुर्गावती नदी के पूरब तरफ रोहतास के व्रती

छठ पूजा में प्रकृति की पूजा की जाती है। रामपुर प्रखंड के सबार गांव के दुर्गावती नदी के छठ घाट पर आने वाले व्रतियों व अपने पँचायत में जाकर सबार पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह द्वारा 1000 व्रतियों को फल का वितरण किया गया।

दण्डवत करते हुए छठ घाट जाते व्रती

दंडवत करते हुए छठ घाट पहुँची व्रती 
दुर्गावती नदी छठ घाट पर ऐसे छठ मईया के व्रती देखे गए जो अपने घर से दंडवत करते हुए पहुँची। बताया जाता है कि दंडवत करते छठ घाट पर वही व्रती पहुँचते है जो छठी मईया से मन्नत मांगने के बाद पूरा होने के बाद ऐसा करते है। छठ महापर्व सभी पर्वो में अनोखा व सादगी से भरा होता है। दंडवत करने वाले व्रती को यह कठिन तपस्या मानी जाती है। 

बेलांव में नहर पुल के पास भगवान भास्कर की प्रतिमा

बेलांव में भगवान भास्कर की प्रतिमा रहा आकर्षण का केंद्र बेलांव में नहर पुल पर भगवान भास्कर की सात रंग के घोड़े के रथ पर सवार स्थापित किया गया था। उनके साथ व्रतियों को अर्घ्य देते हुए प्रतिमा थी। एक प्रतिमा ऐसी थी। भगवान शिव व पावर्ती एक साथ थी। जिसमें एक हाथ में शिव जी गणेश जी लिए थे तो माता पार्वती कार्तिकेय को लिए हुए थी।

बेलांव नहर में छठ करते व्रती

मंच को काफी भव्य तरीके लाइटिंग से सजाया गया था। जहां व्रतियों द्वारा डूबते व उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा अर्चना की गई। प्रतिमा को देख कर काफी सुंदर और आकर्षक का केंद्र बना रहा था। भगवान भास्कर की इस प्रतिमा को मोकरम गांव के मूर्तिकार छोटेलाल प्रसाद द्वारा बनाया गया था।

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