कोरिया, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट में हाथियों का आतंक बदस्तूर जारीं है। यहां मैनपाट वनपरिक्षेत्र में 9 सदस्यीय हाथियों का दल लगातार अपना उत्पात मचा रहा है, जिससे मैनपाट वनपरिक्षेत्र का अलग-अलग रिहायशी इलाका गजराज के उत्पात से लगातार तबाह हो रहा है।
हाथियों का दल यहां बीते 6 महीने से अपना डेरा जमाए हुए हैं और ग्रामीणों के मकानों को आए दिन तोड़ रहा है। जिससे ग्रामीणों के साथ-साथ वन विभाग की चिंता और भी बढ़ गई है। ग्रामीण पूरी रात जगकर पेड़ों पर मचान बनाकर किसी तरह अपने और अपने परिवार वालों की जान बचाकर रात गुजार रहें हैं। वहीं मैनपाट वनपरिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ में आज पुनः 09 सदस्यीय हाथियों का दल दो भागों में बट गया।
वहीं हाथियों के दल ने ग्रामीणों के आधा दर्जन से अधिक मकान को तोड़ दिया। ग्रामीणों के मकान में रखे अनाज को भी चट कर दिया। वहीं हाथियों की चिंघाड़ सुनने के बाद ग्रामीणों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। यहां हाथियों से बचने के लिए ग्रामीण गुलेल का सहारा लेते रहे हैं।
हाथियों के दल ने मैनपाट के बरडांड़ में फिर 7 मकानों को तोड़ा है ठीक इससे दो दिन पहलें हाथियों के दल ने 22 मकानों को तोड़कर तबाह किया था, जिससे मैनपाट में गजराज से हाहाकार मचा हुआ है। वहीं वन विभाग लगातार दावा कर रही है कि हाथियों के उत्पात पर जल्द ही लगाम लगाया जाएगा। लेकिन वन विभाग का यह दावा जमीनी स्तर पर पूरी तरह से फेल होता नजर आ रहा है। हाथियों का दल ग्रामीणों के मकानों को लगातार तोड़ रहा है। वहीं ग्रामीणों के मकानों के टूट जाने से उनकी चिंता बढ़ रही है। हालांकि वन विभाग का अमला ग्रामीणों के मकान टूटने पर मुआवजा देने की बात तो कर रहा है। लेकिन जान लेने पर उतारु हुए दंतैल से कब छुटकारा मिलेगा इसे लेकर चिंता सता रही है।
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