रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि हमने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का एक रोडमैप बनाया है। इसके अनुसार विभिन्न शालाओं में बहुत से कार्य किए जा रहे हैं, जिनसे बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो, जिससे वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि शोधकर्ता, खिलाड़ी, प्रबंधक या अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कैरियर अपना सकें। उन्होंने कहा कि महंगे और सजावटी विकास से किसी का भला नहीं होता, वास्तव में यह देखना चाहिए कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है और उससे सेवा की गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा।
‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ का विचार ही इसलिए आया कि सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के सामने सम्मानपूर्वक खड़ा किया जाए। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चे उन सुविधाओं से वंचित न हों, जो उनके भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए सरकारी क्षेत्र में हम इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से वह सुविधाएं ला रहे हैं।
युवाओं में बढ़ा कृषि शिक्षा की ओर रुझान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. एसके पाटिल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि तथा उद्यानिकी को बढ़ावा मिलने से और 31 महाविद्यालयों का वृहद नेटवर्क खड़ा होने से युवाओं में कृषि शिक्षा की ओर रुझान बढ़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने युवाओं में कौशल विकास के लिए विश्वविद्यालयों में उत्पादन केंद्र तथा युवाओं की कंपनियां स्थापित करने का अभिनव विचार दिया है। इसके माध्यम से युवा, कृषि को एक व्यवसाय के रूप में लेने आगे आ रहे हैं। रायगढ़ के किरण मौर्य ने कहा कि रायगढ़ जिले में स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल यूनिवर्सिटी शुरू होने से हम छात्र-छात्राओं को शिक्षा संबंधी कार्यों के लिये बिलासपुर नहीं जाना पड़ेगा।
विश्वविद्यालयों में उत्पादन केंद्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास के कार्य की नई शुरूआत
मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं, लेकिन एक लंबे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केंद्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है।